लखनऊ। कलाविदों व शिल्पियों के सम्मान के साथ लोक संस्कृति शोध संस्थान द्वारा कला एवं शिल्प महाविद्यालय में आयोजित तीन दिवसीय लोक विमर्श का गुरुवार को समापन हो गया। लोक कला व हस्तशिल्प पर केन्द्रित तथा देवनारायण सिंह की स्मृति को समर्पित आयोजन में अन्तिम दिन भित्ति चित्रांकन और कोहबर चित्रकला पर शोधपरक कार्य करने वालीं गोरखपुर की डा. कुमुद सिंह को श्रीमती यमुना अग्निहोत्री स्मृति लोक मनीषी सम्मान, भूआलेखन कला में विशिष्ट योगदान के लिए डा. संगीता शुक्ता को श्रीमती पद्मा अवस्थी स्मृति लोक कलाकार सम्मान तथा लोक कला अभिलेखीकरण व संवर्द्धन में योगदान के लिए डा. करुणा पांडेय को संस्कृति ध्वजवाहक पद्मश्री यशोधर मठपाल लोक कलाकार सम्मान प्रदान किया गया। इस अवसर पर चित्रकला व हस्तशिल्प प्रदर्शनी में कृतियों का प्रदर्शन करने वाले कलाकारों व शिल्पियों को भी प्रमाण पत्र प्रदान किये गये।
कार्यक्रम की शुरुआत दूरदर्शन की सहायक निदेशक व कार्यक्रम प्रमुख रमा अरुण त्रिवेदी, लोक विदुषी डा. विद्याविन्दु सिंह, अन्तर्राष्ट्रीय भोजपुरी सेवा न्यास के अध्यक्ष परमानंद पांडेय ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। रमा अरुण त्रिवेदी ने लोक विमर्श में उठे महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर सकारात्मक कार्ययोजना बनाकर काम करने की बात कही।
कलाविद् डा. कुमुद सिंह ने कहा कि लोक में बिखरे कला रुपों व आकृतियों यदि संरक्षित नहीं किया जायेगा तो वह विलुप्त हो जायेंगे। इनको पहचानने, बनाने और पसन्द करने वालों की संख्या गांवों में भी तेजी से घट रही है।
लोक विदुषी डा. विद्याविन्दु सिंह ने कहा कि दादी-नानी के समय तक भारत की महिला बहुत सी ऐसी चीजें घर में बनाती थीं जिसे पुस्तैनी हुनर के रुप में हर मां अपनी बेटी को सिखाती थी। कई तरह के घास से झाड़ू बर्तन धोने के कुच्चे बनाना, दरी, टाट-चटाईयां और बैठने के लिऐ बैठक बनाना, सब्जी रखने के लिए टोकरियां बनाना, गोबर, घास या अन्य सामान भरने के लिऐ छावड़ी बनाना, कई तरह के साज-सजावट के सामान बनाना, स्वेटर, जर्सी बुनना, घर में पापड़, बड़ियां, सेवईयां बनाना आदि अब कम हो रहे हैं। उन्होंने कोरोना की चर्चा करते हुए लोगों से भारत की ओर लौटने का आह्वान किया।
एंकर जीतेश श्रीवास्तव के संचालन में हुए कार्यक्रम में जादूगर सुरेश ने जादू के हैरतअंगेज करतब दिखाये। कार्यक्रम में मंजू श्रीवास्तव, राजनारायण वर्मा, एस.के. गोपाल, मधुलिका श्रीवास्तव, गौरव गुप्ता, डा. कुसुम शुक्ला, विद्याभूषण सोनी, होमेन्द्र मिश्र सहित कृष्णप्रताप विद्याविन्दु लोकहित न्यास तथा नीलाक्षी लोक कला कल्याण समिति के सदस्य भी सहभागी रहे।