घोसी विधानसभा उप-चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी दारा सिंह चौहान का राजनीतिक भविष्य दांव पर लगा हुआ है। दारा सिंह सपा के घोसी विधायक पद से इस्तीफा देकर बीजेपी पार्टी में शामिल हुए। चर्चा चल रही थी कि चुनाव से पहले उन्हें मंत्री बनाया जायेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। दारा सिंह चौहान यदि घोसी उप-चुनाव जीत गए तो एक बार फिर से मंत्री बन जाएंगे। लेकिन, यदि ऐसा नहीं हुआ तो उनका राजनीतिक भविष्य खतरे में पड़ सकता है। दारा सिंह ने साल 2022 में बतौर समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी बनकर 1,08,430 वोट प्राप्त किए थे।
भारतीय जनता पार्टी संगठन और सरकार का पूरा समर्थन पाने के बावजूद साल 2022 का प्रदर्शन कायम रखना ही उनकी सबसे बड़ी चुनौती है। बता दें कि योगी-01 सरकार में दारा सिंह कैबिनेट मंत्री थे और उनके पास वन एवं पर्यावरण जैसा महत्वपूर्ण विभाग था। लेकिन साल 2022 में हुए विधानसभा चुनाव से ठीक पहले दारा सिंह चौहान ने स्वामी प्रसाद मौर्या और धर्म सिंह सैनी के साथ मंत्रिमंडल और बीजेपी से इस्तीफा देकर सपा में चले गए थे।
जानकारी के मुताबिक, बीजेपी सरकार से मंत्री पद से इस्तीफा देकर सपा में शामिल होने वाले दारा सिंह चौहान साल 2022 में सपा सरकार न बनने से निराश थे। मगर सपा से उम्मीद रखने पर महत्व न मिलने से निराश होकर दारा सिंह ने कुछ दिन पहले फिर पाला बदल लिया और सपा से इस्तीफा देकर दुबारा बीजेपी में शामिल हो गए। तभी से उन्हें प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाए जाने की चर्चा चल रही है। घोसी उपचुनाव में बीजेपी ने दारा सिंह चौहान को ही प्रत्याशी बनाया। आज 8 सितम्बर को उनकी राजनीतिक भविष्य का फैसला हो जाएगा।
सियासी सफर में सत्ता के साथ बदलते रहे पार्टी
दारा सिंह चौहान के राजनैतिक दौर की बात करें तो अब तक दो बार राज्यसभा सांसद, एक बार लोकसभा सांसद और दो बार विधायक पद संभाल चुके हैं। दारा सिंह चौहान ने राजनीतिक जीवन से छात्र राजनीति से कदम रखा था। पहले दारा सिंह कांग्रेस संगठन में पदाधिकारी रहे, फिर सपा पार्टी में शामिल हो गए। साल 1996 में सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने उन्हें राज्यसभा भेजा। 2000 में कार्यकाल पूरा होने पर पुन: साल 2000 से 2006 तक राज्यसभा में सपा का प्रतिनिधित्व भार संभाला। इसके बाद फिर पार्टी बदल कर बहुजन समाजवादी पार्टी (बसपा) में शामिल हो गए।
साल 2015 में पहली बार बीजेपी में शामिल हुए थे दारा सिंह
बसपा सुप्रीमो मायावती ने उन्हें घोसी लोकसभा सीट से साल 2009 में चुनाव लड़ाया और पहली बार लोकसभा सदस्य बने। उन्हें लोकसभा में संसदीय दल का नेता भी बनाया गया। साल 2014 में पुन: बसपा के टिकट पर लोकसभा के लिए मैदान में उतरे लेकिन बीजेपी के प्रत्याशी हरिनारायण राजभर से मुकाबले में हार गए। देश में चल रहे सियासी नोकझोंक को देखते हुए दारा सिंह चौहान साल 2015 में बीजेपी में शामिल हो गए। यहां भी उन्हें सम्मान मिला और पिछड़ा वर्ग मोर्चा का राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोनीत किया गया। साल 2017 के चुनाव में पार्टी ने मधुबन विधानसभा से टिकट दिया, जहां से 30 हजार से अधिक वोटों से जीत कर प्रदेश सरकार में मंत्री बने। इसके बाद सियासी मौसम को देख फिर उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के पहले पलटी मार गए और भाजपा से सपा में वापस चले गए। घोसी सीट से विधायक बने। अब उन्होंने सपा से इस्तीफा दे दिया है और अब बीजेपी के प्रत्याशी के रूप में घोसी का उप-चुनाव लड़ रहे हैं।
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