सपने देखने की चाह और उसे पूरा करने के लिए जी-तोड़ मेहनत करने वालों को कोई पछाड़ नहीं सकता है। कोविड-19 आपदा के दौरान मुम्बई से लौटे विकास खण्ड सिटी निवासी मोनू ने इसे कर दिखाया। कोरोना के चलते मायूस होकर घर लौटने के बाद बैठने की बजाय दृढ़ इच्छा शक्ति के बल पर उसने नया प्रयास आरंभ किया और आज वह सफलता की नई इबारत लिख रहा है। दरअसल सरकार आपदा के दौरान घर लौटे युवाओं की मुराद गरीब कल्याण योजना के जरिए पूरी कर रही है। योजना ने विंध्य क्षेत्र के बेरोजगार युवाओं खासकर प्रवासी लोगों को एक नई राह दिखाई है।
मुम्बई से लौटे प्रवासियों ने वापसी के बजाय घर पर ही स्वावलम्बन की राह चुनी
कोरोना संक्रमण के दौरान विकास खण्ड सिटी के छीतपुर निवासी मोनू मुम्बई से लौटा तो फिर वापस न जाने की ठान ली। उसने भेड़ पालन से मनरेगा योजना के तहत लगभग 1.72 लाख रुपये से बकरी शेड निर्माण किया। इसके बाद उसने अब खुद को आर्थिक रूप से मजबूत कर लिया है। इसी तरह प्रवासी श्रमिक रामदास पुत्र महादेव ने 1.72 लाख की लागत से बकरी आश्रय स्थल (गोट) बनाकर बकरी पालन कार्य, लालमनी पुत्र कल्लू ने मनरेगा के तहत 1.72 लाख की लागत से गोट शेड का निर्माण कराकर रोजगार शुरू किया।
बीडीओ श्वेतांक सिंह ने बताया कि कोरोना संक्रमण के चलते विकास खंड सिटी में काफी लोगों को अपना काम छोड़कर घर वापस आना पड़ा। ऐसे लोगों को प्रोत्साहित करते हुए गरीब कल्याण योजना के तहत बकरी पालन या गोट कार्य सहित हुनर में माहिर लोगों को प्रेरित किया गया। इसके कारण ये लोग दोबारा मुम्बई जाने की बजाय घर पर ही काम करना बेहतर समझ रहे हैं। स्वयं व्यवसाय शुरू करने के साथ ही अन्य युवाओं को भी रोजगार मुहैया करा रहे हैं।
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मुख्य विकास अधिकारी अविनाश सिंह बताया कि कोरोना संक्रमण के चलते बहुत से लोग महानगरों से कामकाज छोड़कर घर वापस लौटे। सरकार की महत्वाकांक्षी गरीब कल्याण योजना के तहत लोगों को रोजगार मुहैया कराया गया। ये लोग योजना के तहत काम आरंभ करने वाले दूसरों के लिए प्रेरणास्रोत बन रहे हैं।