देश अभी कोरोना वायरस की दूसरी लहर से लड़ ही रहा है कि इस महामारी की तीसरी लहर भी मुहाने पर आकर खड़ी है। केंद्र की सत्तारूढ़ मोदी सरकार इस लहर से लड़ने की कवायद में जुटा है। जगह-जगह ऑक्सीजन प्लांट्स लगवाए जा रहे हैं। ऐसा ही एक ऑक्सीजन प्लांट उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में स्थित सरस्वती हाईटेक सिटी में भी लग रहा है। बीते बुधवार को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी इस ऑक्सीजन प्लांट के शिलान्यास कार्यक्रम में वर्चुअल तरीके से शामिल हुए। हालांकि, इस कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए उनकी जुबान फिसल गई, जिससे सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई।
गडकरी ने संबोधन के शुरुआत में ही की गलती
दरअसल, इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नितिन गडकरी सबसे पहले कार्यक्रम में शामिल दूसरे मेहमानों का नाम लिया और इसके तुरंत बाद अपना संबोधन शुरू किया। हालांकि अपना भाषण शुरू करते ही उनकी जुबान फिसल गई और वह सवालों के घेरे में आ गए।
नितिन गडकरी ने कहा कि मुझे खुशी है कि कोरोना काल में ऑक्सीजन की कमी की वजह से देश के तमाम लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। दरअसल, गडकरी को यहां खुशी की बजाय दुख शब्द का इस्तेमाल करना था, लेकिन उनकी जुबान फिसल गई। इस कार्यक्रम में यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह भी शामिल रहे।
अपने संबोधन में उन्होंने आगे कहा कि आने वाले समय में तीसरी लहर और चौथी लहर का संकट है। इसको ध्यान में रखकर काम करना आवश्यक है। इसके साथ ही हर जिले में ऑक्सीजन सिलेंडर बैंक की स्थिति देखना जरूरी है। आवश्यकता पड़े तो राज्य सरकार द्वारा हर जिले की चिकित्सा व्यवस्था में 4,000-5,000 सिलेंडर शामिल किया जाए। प्रयागराज में वर्चुअल उद्घाटन के दौरान केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की जुबान जैसे ही फिसली वैसे ही आम आदमी पार्टी ने और कांग्रेस पार्टी ने इनकी जुबान को पकड़ लिया।
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विपक्ष ने बोला हमला
उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता अब्बास हैदर ने कहा कि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी उस सरकार का हिस्सा हैं, जो लाखों लोगों की जान बचाने में असफल रही। शायद वह दुख की जगह खुशी इस शब्द का गलती से इस्तेमाल कर गए, लेकिन अपनी गलती सुधारने का सबसे उपयुक्त रास्ता यह है कि वह अपनी ही सरकार की नाकामियों को छुपाने के बजाय जनता को बताएं।
आम आदमी पार्टी के जिला अध्यक्ष अल्ताफ आलम ने कहा कि सच्चाई केंद्रीय मंत्री के जुबान पर आ गई और इनको अपनी गलती का एहसास है, इसलिए अपने दर्द को छुपा नहीं पाए। सार्वजनिक तौर पर ऐसा नहीं बोलना चाहिए। केंद्रीय मंत्री दुख और सुख में अंतर नहीं समझ पाए।