धर्मांतरण मामले में एटीएस ने किया बड़ा खुलासा, गिरफ्तार लोगों के खिलाफ मिले अहम सबूत

उत्तर प्रदेश में अवैध धर्मांतरण मामले में गिरफ्तार किये गए अभियुक्तों में चार अभियुक्तों के खिलाफ तमाम ऐसे साक्ष्य मिले हैं, जिससे यह सिद्ध होता है कि इनके द्वारा देशव्यापी अवैध धर्मांतरण के गिरोह का संचालन किया जा रहा था। उनके तार अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर जुड़े हुए हैं। इस सिंडिकेट को चलाने के लिए विदेशों से भी भारी मात्रा में फंडिंग की जा रही थी, जिसके पुख्ता सुबूत मिले हैं।

धर्मांतरण मामले के चार के खिलाफ मिले पर्याप्त सबूत

अवैध धर्मांतरण के मामले में एटीएस ने उप्र के अलावा अन्य राज्यों से अब तक 16 लोगों की गिरफ्तारी की है। इसमें मुख्य आरोपित उमर गौतम और मौलाना कलीम सिद्दकी है। पकड़े गए अभियुक्तों में से चार अभियुक्त नागपुर निवासी प्रकाश रामेश्वर कावड़े उर्फ आदम, झारखंड निवासी कौशर आलम, महाराष्ट्र निवासी भुप्रिय बंदो उर्फ अर्सलान मुस्तफा और महाराष्ट्र निवासी फराज शाह में से चार अभियुक्तों के खिलाफ 12 अक्टूबर को कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की गई।

विवेचना में चारों अभियुक्तों विरुद्ध पर्याप्त साक्ष्य मिले हैं, जिससे यह सिद्ध होता है कि ये लोग आर्थिक रूप से कमजोर लोग, महिलाओं, दिव्यांगजनों विशेषकर मूक बधिरों का धर्मांतरण कराया जा रहा था। जो लोग धर्मांतरण के लिए राजी नहीं होते हैं, तो अभियुक्तगण उन पर बल का प्रयोग भी करते हैं। कमजोर वर्ग के लोगों को आर्थिक मदद का भरोसा देकर उनका धर्मांतरण कराते हैं। इस प्रकार धर्मान्तरित व्यक्ति को कट्टर विचार धारा से जोड़कर उसे श्रृंखलाबद्ध तरीके से उसके मूल धर्म के अन्य लोगों, मित्रों, रिश्तेदारों के धर्मान्तरण की कार्यवाही की जिम्मेदारी दी जाती है।

धर्मान्तरित व्यक्ति किसी भी दशा में मूलधर्म में वापस न जाने पाए इसके लिए समय-समय पर कार्यशालाएं एवं अवैध धर्मान्तरण कराए जाने के लिए नियमित रूप से प्रशिक्षित किया जाता है। अभियुक्तों की इस अवैध धर्मांतरण की कार्यवाही से विभिन्न धर्मों के बीच आपसी वैमनस्य एवं कटुता बढ़ी है। रेडिकलाइज्ड व धर्मान्तरित व्यक्तियों को देश विरोधी अतिवादी विचारधारा से भी जोड़े जाने के भी प्रमाण मिले हैं।

विदेशों से हो रही फंडिंग

सह अभियुक्त उमर गौतम के द्वारा संचालित अवैध धर्मांतरण सिंडिकेट के देश व्यापी स्तर पर कराए जा रहे धर्मांतरण के षड्यंत्र को महाराष्ट्र में संचालित करने में इन चारों अभियुक्तों की प्रमुख भूमिका रही है। इस सिंडिकेट को संचालन के लिए इन्हें विदेशों से भी भारी मात्रा में फंडिंग की गयी है, जिसके पुष्ट साक्ष्य मिले हैं।

57 करोड़ का ब्यौरा नहीं दे सके अभियुक्त

उमर गौतम व इसके साथियों को ब्रिटेन आधारित संस्था अल-फला ट्रस्ट से लगभग 57 करोड़ रुपये की फंडिंग हवाला एवं अन्य माध्यमों से की गयी थी। जिसके खर्च का ब्यौरा अभियुक्तगण नहीं दे सके थे। जिन संगठनों ने उमर गौतम से सम्बंधित ट्रस्ट “अल-हसन एजुकेशनल एंड वेलफेयर फाउंडेशन को फंडिंग की थी, उन्ही स्रोतों से मौलाना कलीम सिद्दीकी के ट्रस्ट जामिया ईमाम वलीउल्लाह ट्रस्ट को भी अनियमित रूप से भारी मात्रा में फंडिंग की गयी। अभियुक्तगणों के खातों में यूके, अमेरिका व अन्य खाड़ी देशों से भी भारी मात्रा में हवाला व अन्य माध्यमों से धन का आना प्रमाणित हुआ है।

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