सुप्रीम कोर्ट ने 2020 में बिहार विधानसभा के दौरान अपने उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास की जानकारी अपनी वेबसाइट पर नहीं देने वाले आठ राजनीतिक दलों पर जुर्माना लगाया है। जस्टिस आरएफ नरीमन की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये आदेश दिया है। कोर्ट ने पिछली 20 जुलाई को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने लगाया जुर्माना
सुप्रीम कोर्ट ने सीपीएम और एनसीपी पर पांच-पांच लाख रुपये, बीजेपी, कांग्रेस , जेडी(यू), राष्ट्रीय जनता दल, सीपीआई और लोक जनशक्ति पार्टी पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने कहा कि सीपीएम और एनसीपी ने किसी भी आदेश का पालन नहीं किया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राजनीतिक दल अपनी वेबसाइट के होम पेज पर ही आपराधिक पृष्ठभूमि के उम्मीदवारों की जानकारी डालेंगे। उम्मीदवार के चयन से 48 घण्टे में ये जानकारी देनी होगी। कोर्ट ने कहा कि निर्वाचन आयोग अलग से मोबाइल ऐप बनाएगा ताकि वोटर अपने मोबाइल फोन पर ऐसे उम्मीदवारों के बारे में जानकारी हासिल कर सकें।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निर्वाचन आयोग आपराधिक पृष्ठभूमि के उम्मीदवारों के बारे में मतदाताओं के जानकारी के अधिकार के लिए बड़े स्तर पर अभियान चलाएगा। इसके लिए एक फंड बनाया जाएगा, जिसमें अवमानना करने वालों से हासिल जुर्माना भी लिया जाएगा। निर्वाचन आयोग एक अलग से सेल बनाएगा, जो कोर्ट के दिशानिर्देश की मॉनिटरिंग करेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर कोई राजनीतिक दल आपराधिक पृष्ठभूमि के उम्मीदवारों के बारे में जानकारी सार्वजनिक करने के इन दिशानिर्देश का पालन नहीं करता है तो चुनाव आयोग इस बारे में कोर्ट को सूचित करेगा ताकि उन राजनैतिक दलों पर अवमानना की कार्रवाई की जा सके।
पिछली 20 जुलाई को सुनवाई के दौरान कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और सीपीएम ने अपने उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास की जानकारी अपलोड नहीं करने पर सुप्रीम कोर्ट से माफी मांगी थी। याचिका ब्रजेश सिंह ने दायर की थी।
याचिका में कहा गया था कि 2020 में बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान सुप्रीम कोर्ट के 13 फरवरी, 2020 के आदेशों का पालन नहीं किया और अपने उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास की जानकारी अपनी वेबसाइट पर अपलोड नहीं किया। याचिका में इन राजनीतिक दलों की मान्यता रद्द करने की मांग की गई थी।
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उल्लेखनीय है कि 13 फरवरी, 2020 को कोर्ट ने कहा था कि राजनीतिक दल केवल जीतने की काबिलियत के आधार पर दागी लोगों को टिकट न दें। अगर वे दागी लोगों को टिकट देते हैं तो उन्हें सार्वजनिक तौर पर इसकी वजह बतानी होगी। सुप्रीम कोर्ट ने दागी लोगों को टिकट चुनाव लड़ने से रोकने के लिए दिशानिर्देश जारी करते हुए कहा था कि राजनीतिक दल दागी लोगों की उम्मीदवारी तय करते ही अपनी वेबसाइट पर 48 घंटे के भीतर उनकी आपराधिक पृष्ठभूमि की सूचना अपलोड करेंगे।
वेबसाइट पर दागी उम्मीदवारों के अपराध की प्रकृति और उन पर लगे आरोपों की जानकारी देनी होगी। उन्हें अपनी वेबसाइट पर ये भी बताना होगा कि वे दागी उम्मीदवारों को टिकट क्यों दे रहे हैं। उम्मीदवारों की जानकारी देते समय ये नहीं बताना चाहिए कि वे चुनाव जीतने की क्षमता रखते हैं।