कहते है की राजनीती में कोई किसी का नहीं होता है न दोस्त और न ही दुश्मन , ऐसा ही बंगाल में देखने को मिल रहा है. कभी ममता बनर्जी के खासमखास रहे पार्टी में दूसरे नंबर की हैसियत रखने वाले नेता शुभेंदु अधिकारी के सुर बदल गए है। ममता के भतीजे अभिषेक बनर्जी को अधिक अहमियत दिए जाने से नाराज शुभेंदु अधिकारी के बगावती तेवर नजर आ रहे है। बंगाल के पूर्व कैबिनेट मंत्री शुभेंदु अधिकारी ने अभी तृणमूल कांग्रेस छोड़ी नहीं है, लेकिन ऐसा लग रहा है कि वह ममता बनर्जी की पार्टी में रहते हुए ही उन्हें अब खुली चुनौती देने लगे हैं। ममता बनर्जी की ओर से शुरू की गई बंगाली बनाम बाहरी के बहस में कूदते हुए उन्होंने साफ कहा है कि जो लोग दूसरे राज्यों से आते हैं, उन्हें बाहरी नहीं कहा जा सकता। अधिकारी ममता सरकार से इस्तीफा दे चुके हैं और पिछले कुछ महीने से तृणमूल नेतृत्व से दूरी बनाकर चल रहे हैं। मंगलवार को उन्होंने कहा है कि वह पहले भारतीय हैं और उसके बाद बंगाली हैं। शुभेंदु अधिकारी के ये बयान भाजपा के सुर में सुर मिलते नजर आ रहे है हैं।

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शुभेंदु अधिकारी का बंगाल की 40-45 सीटों पर प्रभाव माना जाता है है। शुभेंदु अधिकारी खुद दो बार लोकसभा सांसद भी रह चुके हैं और उनके पिता शिशिर अधिकारी तमलुक और भाई दिब्येंदु अधिकारी कांथी लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद हैं। अगर अधिकारी बंधुओं ने टीएमसी छोड़ी तो पार्टी को इसका खामियाजा भुगतने की बड़ी आशंका है। क्योंकि, इनका पश्चिमी मिदनापुर, बांकुरा, पुरुलिया, झारग्राम और बीरभूम के जंगलमहल के इलाके और मुस्लिम-बहुल मुर्शीदाबाद जिले अच्छा-खासा प्रभाव माना जाता है।
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