क्या गुजरात चुनाव से पहले चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर कांग्रेस से जुड़ेंगे? ऐसा लगता है कि इसे लेकर राज्य यूनिट में पूरी तरह से भ्रम की स्थिति है। कई नेताओं का कहना है कि पार्टी पहले से ही ग्रामीण इलाकों में मजबूत है और पीके शहरी क्षेत्रों में ज्यादा फर्क नहीं कर सकते, क्योंकि ये पारंपरिक रूप से भाजपा का गढ़ है। पार्टी आलाकमान को संदेश भेजा गया है कि किसी निर्णय पर पहुंचने में और देरी पार्टी की रणनीति को प्रभावित करेगी।
रिपोर्ट के मुताबिक, किशोर नवंबर 2022 में होने वाले गुजरात चुनाव के बजाय कांग्रेस के साथ 2024 के लोकसभा चुनाव में बड़ा मौका तलाश रहे हैं। वहीं, गुजरात कांग्रेस के एक सीनियर मेंबर ने कहा कि किशोर के पार्टी के लिए काम करने को लेकर दल में 50-50 का विभाजन है। कांग्रेस ने 2017 में भाजपा को कड़ी टक्कर दी और 182 सदस्यीय राज्य विधानसभा में सत्ताधारी दल को दो अंकों तक सीमित कर दिया। हालांकि, पिछले पांच सालों में कांग्रेस के कई विधायकों ने पाला बदल लिया है।
‘गुजरात में कांग्रेस के लिए ज्यादा फर्क नहीं कर सकते PK’
गुजरात कांग्रेस के एक नेता ने कहा, “किशोर गुजरात में कांग्रेस के लिए ज्यादा फर्क नहीं कर सकते हैं। ग्रामीण इलाकों में कांग्रेस का गढ़ है और यहां तक कि नेता भी जानते हैं कि शहरी इलाकों में भाजपा को हराना मुश्किल है। तो, क्या फायदा है किशोर को बोर्ड में लाने के लिए इतना पैसा खर्च करने का? इसे प्रचार और अन्य गतिविधियों के लिए उम्मीदवारों को दिया जाना चाहिए। इससे पार्टी को ज्यादा फायदा होगा।”
समाजवादी पार्टी में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है? इस नेता ने तो अखिलेश यादव को बता दिया ‘कायर’
‘PK के आने से कार्यकर्ताओं का बढ़ेगा मनोबल’
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पार्टी के कई नेताओं ने जोर देकर कहा कि किशोर पर जल्द से जल्द फैसला लिया जाना चाहिए। पार्टी का एक समूह किशोर के शामिल होने का समर्थन करता है। इसका कहना है कि अगर वह आएंगे तो हम जीतेंगे। इस तरह से पार्टी कार्यकर्ताओं की उम्मीदें बढ़ रही हैं। निर्णय लेने में देरी का मतलब है कि यह उन जमीनी कार्यकर्ताओं का मनोबल गिराएगा, जिनकी उम्मीदें इस तरह की धारणाओं से बढ़ी हैं।