उत्तराखंड की राजनीति में आयरन लेडी के नाम से चर्चित कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और नेता प्रतिपक्ष इंदिरा ह्रदयेश के निधन की सूचना से समूचा शहर शोक में डूब गया। 7 अप्रैल 1941 को जन्मीं इंदिरा हृदयेश ने रविवार सुबह दिल्ली में अंतिम सांस ली। ब्रेन हेमरेज ने उन्हें लोगों से हमेशा के लिए जुदा कर दिया।

इंदिरा ह्रदयेश के आकस्मिक निधन से उत्तराखंड कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। वह दिल्ली में कांग्रेस संगठन की बैठक में शामिल होने गई थीं। उनके बेटे सुमित हृदयेश दिल्ली उनके साथ थे। उत्तराखंड की कद्दावर और गरीबों के दिल की धड़कन कही जाने वालीं इंदिरा ने कभी भी किसी गरीब को निराश नहीं किया। हल्द्वानी में रहने वालीं इंदिरा ने हल्द्वानी के विकास के लिए बहुत काम किया है। उत्तर प्रदेश से लेकर उत्तराखंड की राजनीति में इंदिरा ह्रदयेश का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने शोक संदेश में कहा, डॉ. इंदिरा हृदयेश जी सामुदायिक सेवा के प्रयासों में अग्रणी थीं। उन्होंने एक प्रभावी विधायक के रूप में अपनी पहचान बनाई और उनके पास समृद्ध प्रशासनिक अनुभव भी था। उनके निधन से दुखी हूं। उनके परिवार और समर्थकों के प्रति संवेदना। ओम शांति।
डॉ. इंदिरा हृदयेश कांग्रेस की एक अहम बैठक के लिए दिल्ली में थीं। यहां उत्तराखंड सदन में उन्हें दिल का दौरा पड़ा, जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया।
इंदिरा हृदयेश के निधन पर राहुल ने जताया दुख, कहा- वो पार्टी की एक मजबूत कड़ी
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने ट्वीट कर लिखा, ‘उत्तराखंड में कांग्रेस पार्टी की एक मजबूत कड़ी, डॉ इंदिरा हृदयेश जी के निधन का दुखद समाचार मिला। वे अंत तक जन सेवा एवं कांग्रेस परिवार के लिए कार्यरत रहीं। उनके सामाजिक व राजनीतिक योगदान प्रेरणास्रोत हैं। उनके प्रियजनों को शोक संवेदनाएं।’
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प्रियंका बोलीं- आज हमने जुझारू नेता और जनप्रिय प्रतिनिधि खो दिया
कांग्रेस महासचिव व उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी ने कहा, ‘आज हमने एक जुझारू नेता, जनप्रिय प्रतिनिधि एवं अभिभावक को खो दिया। ईश्वर उनको श्रीचरणों में स्थान दें एवं इस दुख की घड़ी में परिजनों को कष्ट सहने का साहस दें।’
वहीं, कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि हमेशा पार्टी और संगठन के लिए अपना सबकुछ देने को वो तैयार रहती थीं। उनका जाना पार्टी के लिए बड़ी क्षति है।
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने दुख जताते हुए कहा कि इंदिरा हृदयेश जी का जाना उत्तराखंड, कांग्रेस और राजनीतिक जीवन के लिए एक बहुत बड़ी और अपूरणीय क्षति है। वो एक बहुत विदुषी महिला थीं और संसदीय विधाओं की मास्टर थीं। वो ऐसे समय में गई हैं जब कांग्रेस और उत्तराखंड को उनकी सबसे ज़्यादा जरूरत है।
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इसके अलावा, दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अनिल चौधरी ने डॉ हृदयेश के अचानक निधन पर शोक व्यक्त करते हुए ट्वीट किया कि इस मुश्किल घड़ी में मैं उनके परिजनों के साथ हूं। ईश्वर डॉ हृदयेश की आत्मा को शांति प्रदान करे। दिल्ली कांग्रेस की नेता अल्का लांबा ने अपने ट्वीट में डॉ इंदिरा हृदयेश की असामयिक मृत्यु को दुखद बताया है।
उत्तर प्रदेश की राजनीति से शुरू इंदिरा ह्रदयेश का सफर उत्तराखंड में नेता प्रतिपक्ष के रूप में खत्म
उत्तराखंड में कुमाऊं के प्रवेश द्वार हल्द्वानी की दशा सुधारने में सबसे बड़ा हाथ इंदिरा हृदयेश का है। चार बार एमएलसी और चार बार विधायक रह चुकीं नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश को लंबा राजनीतिक अनुभव रहा है। पहली बार 1974 से 1980 तक उत्तर प्रदेश विधान परिषद की सदस्य रहने के बाद इंदिरा ह्रदयेश दूसरी बार 1986 से 1992 तक उत्तर प्रदेश में एमएलसी बनीं। इसके बाद 1992 से 1998 तक तीसरी बार एमएलसी रहीं। चौथी बार 1998 से 2000 तक एमएलसी रहने के बाद उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड अलग हो गया। इसके बाद वह उत्तराखंड सरकार में लीडर आफ अपोजिशन के पद पर रहीं।
उत्तराखंड में पहले विधानसभा चुनाव के बाद 2002 से 2007 तक वह कैबिनेट मंत्री रहीं। संसदीय कार्य व कई महत्वपूर्ण विभाग उनके पास रहे। 2012 से 2017 तक वह हल्द्वानी से विधायक चुनी गईं। इस बार भी वह काबीना मंत्री रहीं। 2017 में चुनाव जीतने के बाद वह नेता प्रतिपक्ष चुनी गईं। उत्तर प्रदेश की राजनीति से शुरू उनका यह सफर उत्तराखंड में नेता प्रतिपक्ष के रूप में खत्म हो गया। उनकी पार्थिव देह को दिल्ली से हल्द्वानी लाया जा रहा है।
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