हरियाणा के पूर्व उप-मुख्यमंत्री चंद्रमोहन ने मंगलवार को मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को सुझाव दिया कि पंजाब सरकार को हरियाणा में दी जा रही सुविधाओं का उल्लेख करने की बजाय भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को विश्वास में लेकर किसानों के लिए लागू किए गए तीनों काले कानूनों को वापिस लेने के बारे में केन्द्र सरकार को सलाह देनी चाहिए।
चंद्रमोहन ने कहा- खट्टर को मांगनी चाहिए माफी
चंद्रमोहन ने कहा कि वह पंजाब से हरियाणा की तुलना ना करें, क्योंकि प्रत्येक प्रदेश की परिस्थितियां भिन्न-भिन्न हैं। भाजपा देश की विरोधी पार्टियों के नेताओं की बात तो नही सुन रही है, कम से कम अपने भाजपा नेताओं के दिल से निकली आवाज को तो सुन ही सकते हैं।
उन्होंने बताया कि मेघवाल के राज्यपाल सतपाल मलिक ने तो यहां तक कहा है कि मुख्यमंत्री को इस कृत्य के लिए माफी मांगनी चाहिए और इसी प्रकार की आवाज भाजपा के कद्दावर नेता चौधरी बीरेंद्र सिंह ने भी बुलन्द की है और मुख्यमंत्री को सुझाव दिए हैं।
चंद्रमोहन ने कहा कि वरिष्ठ नेताओं से सलाह करने के साथ साथ किसान आन्दोलन को दबाने के लिए औच्छे हथकंडे ना अपनाए जाएं और इस मामले की तह तक जाने के लिए तथ्यों की पूरी जांच की जाए।
पूर्व उपमुख्यमंत्री चंद्रमोहन ने कहा कि पिछले 9 महीने से किसानों का आंदोलन चल रहा है उनकी वेदना पीड़ा और दर्द को सुनने वाला कोई नहीं है। केन्द्र सरकार की अकर्मण्यता और असंवेदनहीनता और हठधर्मिता के कारण ही इस समस्या का समाधान नहीं निकल पा रहा है। करनाल में किसानों पर की गई बर्बता, अंग्रेजी हुकूमत की याद दिलाती है।
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चंद्रमोहन ने कहा कि किसानों का सिर फोड़ने का आदेश देने वाले एस डी एम आशीष सिन्हा का मुख्य मंत्री कुछ भी नहीं बिगाड़ सकते हैं क्योंकि एसडीएम के तार सीधे राष्टीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े हुए हैं। इसलिए अधिकारी को क्लीन चिट दे दी जाएगी।