लखनऊ: राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जेएन तिवारी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को उनके अधिकारी की मेल आईडी पर पत्र प्रेषित करते हुए जल निगम कर्मचारियों के वेतन भुगतान के संबंध में अनुस्मारक भेजा है। इसके पूर्व उन्होंने 20 फरवरी को मुख्यमंत्री से जल निगम कर्मचारियों के बकाया वेतन भुगतान के लिए पत्र प्रेषित कर तत्काल भुगतान करने की मांग किया था।
जल निगम के प्रबंध निदेशक ने लिखा पत्र
जेएन तिवारी ने लखनऊ में एक प्रेस विज्ञप्ति अवगत कराया है कि जल निगम के प्रबंध निदेशक ने अपर मुख्य सचिव पंचायती राज एवं निदेशक स्थानीय निकाय को पत्र भेजकर 5332 फील्ड कर्मचारियों को पंचायती राज विभाग एवं स्थानीय निकायों में समायोजित करने के संबंध में कार्यवाही करने को कहा है।
जेएन तिवारी ने प्रबंध निदेशक के इस पत्र पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अवगत कराया है कि जल निगम के कर्मचारियों को अन्य विभागों में समायोजित किए जाने का सीधा अर्थ यह है कि जल निगम को खत्म करने के लिए सरकार कटिबध है।
उन्होंने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है कि जल निगम प्रदेश के निगमों में एक महत्वपूर्ण निगम है, जिसके माध्यम से प्रदेश की जनता को शुद्ध पेयजल एवं सीवर की सफाई इत्यादि कार्यों की सुविधा प्राप्त है। निगम में कार्य कर रहे हजारों कर्मचारियों एवं पेंशन धारकों को विगत 6 माह से वेतन का भुगतान नहीं हो रहा है, जिसके कारण जल निगम कर्मचारियों के परिवार भुखमरी की कगार पर हैं। वेतन भुगतान के लिए निगम मुख्यालय पर लगातार आंदोलन भी चल रहा है लेकिन सरकार इसका संज्ञान नहीं ले रही है।
जेएन तिवारी ने अवगत कराया है कि 1975 से पहले यह विभाग एलएसजीडी के नाम से चलता था जो सरकार के नियंत्रण में था एवं उस समय कर्मचारियों को समय से वेतन एवं जनता को सुचारु रुप से सुविधाएं प्राप्त थी। 2000 तक सब कुछ ठीक-ठाक चला लेकिन उसके बाद जल निगम कर्मचारियों के सामने दिक्कतें आनी शुरू हो गई। निगम में कर्मचारियों के सामने वेतन भुगतान की समस्या आई और आज निगम को बंदी की तरफ धकेला जा रहा है।
जेएन तिवारी ने मुख्यमंत्री जी को पत्र लिखकर अवगत कराया है कि विभाग ने समायोजन के नाम पर निगम के कर्मचारियों को फुटबाल बना दिया है। निगम की तरफ से एक पत्र पंचायती राज एवं स्थानीय निकाय को भेज भेज दिया जाता है जिस पर कार्यवाही करने की बजाय उन विभागों से कुछ न कुछ सूचनाओं का आदान-प्रदान होता रहता है। पत्रों के इसी आदान-प्रदान में कर्मचारियों को वेतन के लाले पड़े हुए हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री जी से अपील किया है कि जल निगम को एकमुश्त राहत पैकेज देकर मंदी से उबारा जाए एवं कर्मचारियों के वेतन भुगतान की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
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यदि जल निगम को निजी हाथों में देने का फैसला कर लिया गया है तो मौजूदा कर्मचारियों को पहले उनके अवशेष का भुगतान करा दिया जाए तथा उनका समायोजन समयबद्ध करने के आदेश निर्गत किए जाएं।
जेएन तिवारी ने अपने पत्र की प्रति अपर मुख्य सचिव नगर विकास, अपर मुख्य सचिव सचिव पंचायती राज, निदेशक स्थानीय निकाय एवं जल निगम के प्रबंध निदेशक को प्रेषित कर कार्यवाही की मांग किया है।