देश का खुशियों, प्रकाश एवं उल्लास का सबसे महत्वपूर्ण पर्व दीपावली इस वर्ष कोरोना संक्रमण के चलते कुछ अलग तरह से कुछ सावधानियों के साथ मनाना पड़ेगा क्योंकि सरकार ने कोरोना संक्रमण के रोकथाम के लिये अनेक दिशा- निर्देश जारी किए हैं। दीवाली के पर्व की खुशियां बरकरार रहे, दीपावली सेहतमंद रहे इसलिये आवश्यक है कि हम पूरी तरह सावधनियाँ अपनायें।
दीपावली मनाते समय इन बातों का रखें ख़ास ख्याल
दीपावली में खुशियों मनाने के लिए बच्चे एवं वृद्ध सभी आतिशबाजी, पटाखे, फुलझड़ियां, बम आदि जलाते है जिससे निकलने वाले वाले जहरीले धुएँ में अनेक खतरनाक रासायनिक तत्व होते हैं जो पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं। इनसे निकलने वाले धुएँ में कैडमियम होता है जो फेफड़ों में ऑक्सीजन की मात्रा को कम करता है। इसके साथ इसमें सल्फर, कॉपर, बेरियम, लेड, अलमुनियम, कार्बन डाइऑक्साइड, आदि फेफड़ों को नुकसान करते हैं और ऐसा पाया गया है कि कोरोना संक्रमण उन लोगों को ज्यादा हुआ है तथा उन्हें अधिक गंभीर हुआ जो श्वसन तंत्र के रोगों से प्रभावित थे और ऐसे रोगियों की मृत्यु भी अधिक हुई है। इसलिए पटाखों आदि से बचना चाहिए।
पटाखों से निकलने वाला धुंआ वातावरण में नमी के कारण बहुत ऊपर नहीं जा पाता है जिससे सांस लेने में परेशानी, खांसी, आदि की समस्या बढ़ सकती है। पटाखों से निकलने वाले धुयें से दमे से पीड़ित रोगियों की शिकायत बढ़ सकती है। धुएँ के कण फेफड़े में चले जाते हैं जिससे ब्रोंकाइटिस एवँ सी ओ पी डी की समस्या गंभीर हो सकती है इसलिए पटाखों ,फुलझड़ी आदि से बचना चाहिए।
पटाखों से निकलने वाले धुएँ का कुप्रभाव त्वचा पर अधिक पड़ता है। इससे एलर्जी, खुजली, दाने आदि की समस्या हो सकती है। साथ ही इनसे निकलने वाली चिंगारी यदि त्वचा पर पड़ जाए तो घाव हो सकता है। त्वचा जल सकती है घाव में जलन एवम दर्द हो सकता है। पटाखों आदि से निकलने वाली तेज रोशनी आंखों को नुकसान पहुंचाती है, आंखों में खुजली हो सकती है, दर्द हो सकती है, आंखे लाल हो सकती हैं, उनसे आंसू निकल सकते हैं, चिनगारी पड़ जाने से घाव हो सकता है। यहां तक की आंखों की रोशनी भी जा सा सकती है इसलिए पटाखों से दूरी बनाये रखना ही सेहत के लिए अच्छा है।
आतिशबाजी एवँ पटाखों की तेज आवाज़ से कानों पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। यहां तक कि कम सुनायी पड़ना एवँ बहरापन भी हो सकता है। पटाखों की तेज आवाज़ से हृदय रोगियों को हार्ट अटैक का खतरा बढ़ सकता है। सबसे ज्यादा चिंताजनक बाद यह है कि हृदय रोगियों को कोरोना का संक्रमण ज्यादा और तीव्र हुआ है और उनकी मृत्यु भी अधिक हुई है।
सबसे गंभीर समस्या यह है कि पटाखों की तेज आवाज सभी रोगियों को परेशान करते हैं और उनकी बीमारी ठीक होने में अवरोध पैदा करते हैं। दीपावली में मिठाइयों के ज्यादा प्रयोग के कारण शुगर के रोगियों का शुगर लेवल बढ़ सकता है इसलिए खाने-पीने में परहेज रखें तथा अपनी दवाईओं का प्रयोग नियमित रूप से करते रहें। यदि हमें स्वस्थ दीवाली माननी है तो हमें पटाखों एवँ आतिशबाजी को ना कहना पड़ेगा क्योंकि यह पैसों की बर्बादी है साथ ही पर्यावरण के साथ खिलवाड़ भी।
यह भी पढ़ें: जोश-जोश में ये क्या कह गए बीजेपी अध्यक्ष…दे डाला बेहद विवादित बयान
कभी-कभी आतिशबाजी, पटाखों के कारण गंभीर दुर्घटनाएँ भी घट जाती हैं जो जानलेवा साबित हो जाती हैं।इसलिए ऐसी दीवाली मनायें जो पर्यावरण हितैषी हों साथ ही स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डालकर खुशियों के पर्व दीपाली को ग्रहण ना लगाएँ। दीपाली में मोमबत्ती के स्थान पर सरसों के तेल से ही मिट्टी के दिये जलायें क्योंकि बाजार में अनेक प्रकार के नकली तेल मिलते हैं तथा मोमबत्ती से निकलने वाला धुआं पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है साथ ही सेहत को भी नुकसान पंहुचाता है।
दीपावली के त्योहार के समय मिठाइयों की मांग बढ़ जाने के कारण मिलावटी मिठाइयों की बाढ़ आ जाती है। इसमे नकली खोवा का प्रयोग होता है तथा मिठाइयों में प्रयोग होने वालेरासायनिक रंग पेट संबंधी परेशानियां, दस्त, उल्टी, पेट में जलन, खट्टी डकार, गैस, पेट दर्द, पीलिया आदि गंभीर समस्याएं उत्पन हो जाती है जो सेहत को नुकसान पहुंचाती हैं इसलिए इन परेशानियों से बचने के लिए बाजार की मिठाइयों एवँ खाने-पीने की चीजों के बजाए घर की बनी चीजों का प्रयोग करें तथा फल, ड्राई फ्रूट का प्रयोग अधिक किया जाए।
दीपावली में घर की साफ सफाई बहुत जरूरी होती है, सफाई के समय धूल से अनेक प्रकार की एलर्जी हो सकती है, सांस की परेशानी हो सकती है इसलिये मुंह एवं नाक पर कपड़ा बांध कर ही सफाई करें। दीपावली में मेले भी लगते हैं भीड़ -भाड़ होती है इसलिए भीड़ में जाने से बचे, अभिवादन के लिए हाथ मिलाएं नहीं जोड़े, गले न मिलें।
इस समय कोरोना के संक्रमण अभी रुका नहीं है और जारी है इसलिए कोरोना काल में इससे बचना जरूरी है इसलिए कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए मास्क लगाये रहे , शारीरिक दूरी बनाये रखें, भीड़-भाड़ में जाने से बचें, हाथों को लगातार धोते रहें तथा सेनिटाइज करते रहें। किसी वस्तु को हाथ लगाने के बाद चेहरे को बार-बार न छुएँ।