महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न के आरोपों से घिरे कैसरगंज से बीजेपी सांसद के खिलाफ हो रही जांच की रफ्तार और तेज हो गई है। दिल्ली पुलिस ने पूरे मामले की जांच के लिए एक महिला पुलिस अधिकारी की निगरानी में दस सदस्यीय एसआईटी का गठन किया है। दिल्ली में बृजभूषण सिंह ने एसआईटी के सामने बयान दर्ज कराए, और आरोपों से इंकार किया। इस रिपोर्ट का पूरा ब्यौरा प्रदेश शासन ने भी तलब किया है। ऊपर से सांसद बृजभूषण की हिस्ट्रीशीट मांगे जाने पर गोंडा के नवाबगंज थाने पर पूरे दिन मंथन हुआ।
भाजपा से पांच बार व एक बार समाजवादी पार्टी से सांसद व लगातार तीन बार भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष रहे बृजभूषण शरण सिंह पर इसी साल महिला पहलवानों ने गंभीर आरोप लगाते हुए जंतर – मंतर पर लगातार धरना दे रहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पॉक्सो के साथ छेड़खानी के आरोप में एफआईआर दिल्ली पुलिस ने दर्ज किया था। मामले में कई देशों का जिक्र होने से दिल्ली पुलिस ने पहले ही विशेष जांच टीम बनाने का संकेत दिया था। अब टीम गठित कर तेज़ी से जांच शुरू कर दी गयी है। जिसमें सांसद ने अपना बयान भी दर्ज कराया है। सांसद बृज भूषण ने आरोपों को गलत बताते हुए साक्ष्य के लिए फोन कॉल के साथ ही आयोजित होने वाली राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं की वीडियो क्लिप की जांच की जरूरत भी बताई है। फिलहाल एसआईटी ने बयान तो दर्जकर लिया और आगे जांच की तैयारी भी कर रही है। इसी बीच शासन ने भी सांसद के बारे में रिपोर्ट मांगी है। इसको लेकर गोंडा के नवाबगंज थाने में उनके ऊपर दर्ज केस और हिस्ट्रीशीट के बारे में जानकारी मांगे जाने पर फाइलें खंगाली गईं। फिलहाल पूरी कार्रवाई को गोपनीय रखा जा रहा है। कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है। लेकिन थाने में चल रही इस कवायद की खासी चर्चा रही।
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नवाबगंज थाने में 1987 में खुली थी सांसद के खिलाफ हिस्ट्रीशीट
कैसरगंज सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर साल 1974 से लेकर 2007 तक 38 मामले दर्ज होने की बात बताई जा रही है। इन सारे मामलों में चोरी, दंगा, हत्या, आपराधिक धमकी, हत्या का प्रयास, अपहरण आदि के साथ चुनाव के दौरान के मामले भी दर्ज हैं। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार यूपी गुंडा एक्ट के तहत एक मामला और उस अवधि में गैंगस्टर और असामाजिक गतिविधियों (रोकथाम) अधिनियम के तहत तीन अन्य मामले भी दर्ज हुए थे। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में बृजभूषण के चुनावी हलफनामे में कहा गया है कि उस समय उनके खिलाफ केवल चार मामले लंबित थे और उन्हें दो में बरी कर दिया गया था। दो लंबित मामले आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन से संबंधित हैं। वैसे थाने की रिपोर्ट मानें तो साल 1987 में बृजभूषण शरण सिंह की हिस्ट्रीशीट खुली थी। जो साल 2011 में निगरानी की आवश्यकता न होने की रिपोर्ट से लंबित कर दी गई थी। थाने में सांसद के खिलाफ नवाबगंज, गोंडा, अयोध्या और दिल्ली में दर्ज मामलों का रिकॉर्ड ही है। शासन से रिपोर्ट मांगे जाने पर थाने की पुलिस ने मामलों की छानबीन किया।