रोहिंग्या मुसलमानों को लेकर कर्नाटक की बीजेपी सरकार को रोहिंग्या मुसलमानों को लेकर लिए गए फैसले पर यूटर्न लेना पड़ा है। दरअसल, रोहिंग्या मामले को लेकर बीजेपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अब एक नया हलफनामा दाखिल किया है। इस हलफनामें में सरकार ने कहा है कि रोहिंग्याओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट जो फैसला लेगा, सरकार उसका पालन करेगी। इसके पहले सरकार ने उस याचिका का विरोध किया था, जिसमें रोहिंग्याओं को वापस भेजने की बात कही गई थी, इसके साथ ही सरकार ने यह भी कहा था कि उन्हें वापस भेजने की फिलहाल कोई योजना नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट में बीजेपी नेता ने दाखिल की थी याचिका
दरअसल, वर्ष 2017 में बीजेपी नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय की ओर से सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी। उन्होंने इस याचिका में मांग की थी कि भारत में अवैध तरीके से रह रहे बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं की पहचान की जाए और उन्हें एक साल के भीतर वापस भेजा जाए। बीते 25 अक्टूबर को कर्नाटक की बीजेपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा पेश कर इस याकाहिका का विरोध किया था। हलफनामें में सरकार ने कहा था कि याचिका कानूनी और तथ्यात्मक, दोनों आधारों पर गलत है। इसे खारिज कर दिया जाना चाहिए। इस स्टैंड पर हुई खिंचाई के बाद अब बदला हुआ हलफनामा दाखिल किया गया है।
हालांकि अब बीजेपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दूसरा हलफनामा पेश किया है, जो पहले हलफनामे के विपरीत है। इस नए हलफनामे में कहा गया है कि कर्नाटक में रह रहे 126 रोहिंग्या लोगों की पहचान की गई है। पुलिस ने उन्हें न तो किसी कैंप या आश्रय स्थल में रखा है, न ही किसी डिटेंशन सेंटर में। इन्हें वापस भेजने की मांग पर कोर्ट का जो भी आदेश होगा, राज्य सरकार उसका पूरी तरह पालन करेगी। पिछले हलफनामे में बंगलुरु में 72 रोहिंग्याओं की मौजूदगी की बात कह गई थी। अब यह संख्या भी बढ़ गई है। दाखिल करने वाले अधिकारी भी बदल गए हैं। पिछला हलफनामा डीजीपी कार्यालय में नियुक्त एक इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी का था। नया हलफनामा राज्य के गृह विभाग के एक अंडर सेक्रेट्री का है।
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अश्विनी उपाध्याय की याचिका में देश में अवैध तरीके से प्रवेश को लेकर बने कानूनों को और सख्त किए जाने की मांग भी की गई है। साथ ही यह भी कहा गया है कि भारत में अवैध तरीके से आने वाले लोगों के आधार कार्ड, पैन कार्ड जैसे दस्तावेज बनाने को संज्ञेय और गैर जमानती अपराध घोषित किया जाना चाहिए।