लोकसभा में आज कानून मंत्री किरण रिजिजू चुनाव सुधार संबंधी विधेयक 2021(Electoral Reforms Bill) पेश करेंगे। बिल के जरिए जन प्रतिनिधि कानून 1950 और जन प्रतिनिधि कानून 1951 में बदलाव किया जाएगा। इसे चुनाव सुधारों की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है। पिछले हफ्ते बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट (Union Cabinet) ने इन बदलावों को मंजूरी दी थी।
सबसे बड़ा बदलाव वोटर पहचान कार्ड को लेकर किया जा रहा है। आज पेश होने वाले बिल के मसौदे में कहा गया है कि मतदाता सूची में दोहराव और फर्जी मतदान रोकने के लिए मतदाता कार्ड को आधार कार्ड से जोड़ा जाएगा। इतना ही नहीं, मतदाता सूची को भी आधार से जोड़ने का प्रस्ताव है। सूत्रों के मुताबिक, फिलहाल इसे ऐच्छिक या वैकल्पिक बनाया जा रहा है। मतलब ये कि लोगों को अपने वोटर कार्ड को आधार कार्ड से जोड़ने या न जोड़ने का विकल्प दिया जाएगा।
चुनाव सुधार बिल से क्या बदलेगा
इस साल 17 मार्च को लोकसभा में दिए एक लिखित जवाब में तत्कालीन कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने जानकारी दी थी कि निर्वाचन आयोग ने मतदाता सूची से आधार प्रणाली को जोड़ने का प्रस्ताव किया है, ताकि कोई व्यक्ति अलग-अलग स्थानों से कई बार पंजीकरण न करा सके। दूसरा बदलाव चुनाव संबंधी कानून में सैन्य मतदाताओं की बराबरी को लेकर है। अब इसे लिंग निरपेक्ष बनाया जा रहा है। वर्तमान कानून के तहत, किसी भी सैन्यकर्मी की पत्नी को सैन्य मतदाता के रूप में पंजीकरण कराने की पात्रता है लेकिन महिला सैन्यकर्मी का पति इसका हकदार नहीं है। सैन्य मतदाताओं को पोस्टल बैलेट के जरिए मतदान करने की सुविधा दी जाती है और वर्तमान कानून के चलते महिला सैन्यकर्मी के पति इस सुविधा का लाभ नहीं ले पाते और अपना वोट नहीं दे पाते हैं।
अरविंद केजरीवाल ने स्वीकार की नवजोत सिंह सिद्धू की चुनौती
तीसरा बदलाव नए मतदाताओं को अपना नाम वोटर लिस्ट में जुड़वाने से जुड़ा है। वर्तमान कानून के मुताबिक, एक जनवरी या उससे पहले 18 साल के होने वालों को ही मतदाता के रूप में पंजीकरण कराने की अनुमति दी जाती है। उदाहरण के लिए, अगर किसी युवा की आयु 2 जनवरी 2022 को 18 साल होती है तो वोटर लिस्ट में उसे अपना नाम जुड़वाने के लिए 1 जनवरी 2023 तक इंतजार करना पड़ेगा। नया कानून बनने के बाद वोटर लिस्ट में अपना नाम जुड़वाने के लिए मतदाताओं को साल में हर तीन महीने पर एक मौका यानि साल में चार मौके मिलेंगे।