चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस से छिन गई बड़ी ताकत, कद्दावर नेता ने दे दिया इस्तीफा

असम में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को बड़ा झटका लगा गई। कांग्रेस को लगे इस झटके की वजह अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) की महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सुष्मिता देव हैं, जिन्होंने पार्टी से पदत्याग की घोषणा कर दी है। वर्तमान में वे दिल्ली में मौजूद हैं।

कांग्रेस से नाराज हैं सुष्मिता

जानकारी के अनुसार सुष्मिता ने आरोप लगाया है कि पार्टी ने एआईयूडीएफ के हाथों में कांग्रेस को बेच दिया है। महागठबंधन में शामिल एआईयूडीएफ को कांग्रेस ने बराक की 06 सीटों को छोड़ दिया है। पार्टी के इस रवैये से सुष्मिता देव बेहद नाराज हैं। सुष्मिता देव ने बराक घाटी एआईयूडीएफ के लिए छोड़ी गयी सीटों को कांग्रेस के लिए मांग किया था।

सुष्मिता ने आरोप लगाया है कि गौरव गोगोई के हस्तक्षेप के चलते ही बराक घाटी की छह सीटों को कांग्रेस ने एआईयूडीएफ के लिए छोड़ दिया है। साथ ही आरोप यह भी लगाये जा रहे हैं कि प्रदेश अध्यक्ष रिपुन बोरा, पूर्व मंत्री रकीबुल हुसैन, देवब्रत सैकिया आदि नेताओं का भी एआईयूडीएफ के लिए सीटें छोड़े जाने में हाथ है।

सूत्रों ने बताया है कि सुष्मिता शनिवार को ही दिल्ली पहुंचकर अपना इस्तीफा सोनिया गांधी को सौंपा है।  राज्यसभा की कांग्रेसी सांसद रानी नरह ने कहा है कि वे सुष्मिता को मनाने के लिए बात कर रही हैं। देखना होगा कि आने वाले समय में इस मामले में किस तरह के हालात बनते हैं। बताया जा रहा है कि बराक घाटी के अन्य कई वर्तमान कांग्रेसी विधायक जिसमें कमलाक्ष्य देव पुरकायस्थ और सिद्देक अहमद भी कांग्रेस को छोड़ सकते हैं। ऐसे में बराक घाटी में कांग्रेस को बड़ा नुकसान होते दिखाई दे रहा है।

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उल्लेखनीय कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर असम के बराक घाटी में आरंभ से ही मतभेद जारी हैं। ब्रह्मपुत्र घाटी में कांग्रेस जहां सीएए का विरोध करती रही है वहीं बराक घाटी में इसका समर्थन करती रही है। ऐसे में पिछले दिनों शिवसागर में राहुल गांधी की जनसभा में भी सुष्मिता देव ने सीएए लिखा गमछा को मंच पर स्वीकार करने से इंकार कर दिया था। पिछले लोकसभा चुनाव में सिलचर सीट से सुष्मिता देव पराजित हो गयी थीं। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2014 को लोकसभा चुनाव में सुष्मिता कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल किया था।