श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में परिसीमन आयोग की सिफारिशों के खिलाफ गुपकर घोषणापत्र गठबंधन (पीएजीडी) द्वारा मार्च निकाले जाने से पहले तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों सहित कई नेताओं को नजरबंद कर दिया गया है, जिस पर राजनीतिक दलों ने आक्रोश जताते हुए कहा कि इस तरह के कदम हिंसक आंदोलनों को केवल ‘‘प्रोत्साहन ’’ देंगे। पुलिस द्वारा नेशनल कांफ्रेंस के शीर्ष नेताओं और पूर्व मुख्यमंत्रियों फारूक अब्दुल्ला, उनके बेटे उमर अब्दुल्ला, पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती और माकपा नेता मोहम्मद यूसुफ तारिगामी के आवासों के बाहर ट्रकों को खड़े करने के साथ दिन की शुरुआत हुई। उन्हें बताया गया कि उन्हें घर में नजरबंद कर दिया गया है। पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकर डिक्लेरेशन (पीएजीडी) द्वारा विरोध मार्च आहूत किया गया था। गुपकर गठबंधन एनसी, पीडीपी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), पीपुल्स मूवमेंट और अवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस सहित जम्मू और कश्मीर में विभिन्न मुख्यधारा के राजनीतिक दलों का एक गठबंधन है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा, “सुप्रभात और 2022 का स्वागत। उसी जम्मू-कश्मीर पुलिस के साथ एक नए साल की शुरुआत जो अवैध रूप से लोगों को उनके घरों में बंद कर रही है और प्रशासन सामान्य लोकतांत्रिक गतिविधि से इतना डरा हुआ है। गुपकर गठबंधन के शांतिपूर्ण धरना-प्रदर्शन को रोकने के लिए ट्रक हमारे गेट के बाहर खड़े हैं। कुछ चीजें कभी नहीं बदलतीं।”
उमर अब्दुल्ला ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उनके आवास के आंतरिक गेट को भी बंद कर दिया था। पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा, “एक अराजक पुलिस राज्य की बात करें, तो पुलिस ने मेरे पिता के घर को मेरी बहन के घर से जोड़ने वाले आंतरिक द्वार को भी बंद कर दिया है। फिर भी हमारे नेताओं के पास दुनिया को यह बताने की हिम्मत है कि भारत सबसे बड़ा लोकतंत्र है।” उन्होंने अपने आवास के गेट पर खड़ी पुलिस की गाड़ी के साथ-साथ एक बंद आंतरिक गेट की तस्वीरें पोस्ट कीं। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की प्रमुख ने कहा कि जम्मू कश्मीर के लोग खुद को अशक्त बनाए जाने के खिलाफ प्रदर्शन करना चाहते हैं तो केंद्र ‘‘बेहद पीड़नोन्मादी और असहिष्णु’’ हो जाता है। महबूबा ने ट्वीट किया, “हमारे विरोध को विफल करने के निरंकुश प्रशासन के प्रयासों के बावजूद, पीडीपी और नेकां कार्यकर्ता आज श्रीनगर में सड़कों पर उतरकर धारा 370 के अवैध निरसन के खिलाफ आवाज उठाने में कामयाब रहे। मैं उनके साहस और संकल्प को सलाम करती हूं।” मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के वरिष्ठ नेता एवं गठबंधन के प्रवक्ता एम वाई तारिगामी ने कहा कि यह दुखद है कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन “इतना डरा हुआ है कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन की अनुमति नहीं दे पा रहा है।” उन्होंने बाद में ट्वीट किया, ‘‘कश्मीर में नव वर्ष की शुरुआत एक बार भी निराशाजनक स्थिति के साथ हुई जब पुलिस ने परिसीमन आयोग के खिलाफ प्रदर्शनों को कुचलकर जायज आवाजों और लोकतांत्रिक अधिकारों को दबाने का अपना काम फिर से शुरू कर दिया है। मेरे समेत पूरे पीएजीडी नेतृत्व को नजरबंद रखा गया है।’’ सरकार के इस कदम पर तीखा हमला बोलते हुए पीपुल्स कांफ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद लोन ने कहा कि लोकतंत्र एक कीमती निशानी है जिसके लिए पिछले तीन दशकों में हजारों लोगों ने अपने प्राणों की आहुति दी है। राजनीतिक और अहिंसक प्रदर्शनों को रोककर प्रशासन प्रदर्शन के हिंसक रूप के लिए परिस्थितियों को ‘‘बढ़ावा’’ दे रहा है।
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लोन ने ट्वीट किया, ‘‘कृपया अनजाने में या गलती से इसे पहचान से परे नुकसान न पहुंचाए। हिंसक प्रदर्शन के संदर्भ में प्रदर्शन के अहिंसक तरीके को बढ़ावा देने की जरूरत है न कि दबाने। अगर आप राजनीतिक, अहिंसक प्रदर्शनों को रोकते हैं तो आप अपने आप ही उसे बढ़ावा दे रहे हैं। आप प्रदर्शन के हिंसक रूप के लिए परिस्थितियां तैयार कर रहे हैं तथा उसे बढ़ावा दे रहे हैं।’’ पीपुल्स कांफ्रेंस प्रमुख ने कहा कि प्रदर्शन करने का अधिकार एक जीवंत लोकतंत्र की अवधारणा में अंतर्निहित है। अपने नेताओं को नजरबंद किए जाने के बावजूद नेकां और पीडीपी के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने यहां अपनी पार्टी कार्यालय के समीप अलग प्रदर्शन मार्च निकाला। नेकां के प्रवक्ता इमरान नबी डार और पार्टी के युवा ईकाई के अध्यक्ष सलमान सागर समेत पार्टी कार्यकर्ताओं ने यहां नेकां मुख्यालय नवा-ए-सुबह से एक प्रदर्शन मार्च निकाला। पार्टी कार्यकर्ताओं ने गुपकर रोड की ओर जाने की कोशिश की जहां अब्दुल्ला का आवास स्थित है लेकिन पुलिस ने उन्हें पार्टी कार्यालय के बाहर ही रोक दिया। डार ने कहा, ‘‘हम परिसीमन आयोग के मसौदा प्रस्तावों के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन मार्च निकालना चाहते थे लेकिन पुलिस ने रोक दिया। उन्होंने हमें धरने पर बैठने भी नहीं दिया।’’ डार ने कहा कि पुलिस ने उन्हें पार्टी कार्यालय में ‘‘धकेला’’। इसी तरह, पीडीपी कार्यकर्ताओं ने अनुच्छेद 370 और 35-ए की बहाली की मांग करते हुए एक विरोध मार्च भी निकाला। केंद्र ने पांच अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 और 35-ए के ज्यादातर प्रावधानों को रद्द कर दिया था। डार ने कहा, “हम परिसीमन आयोग के मसौदा प्रस्तावों के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध मार्च निकालना चाहते थे, लेकिन पुलिस ने रोक दिया। उन्होंने हमें धरना भी नहीं देने दिया।” इस बीच, नेकां के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने विरोध प्रदर्शन के लिए अपनी पार्टी के सहयोगियों की प्रशंसा की। पीएजीडी ने कश्मीर घाटी में केवल एक सीट के मुकाबले जम्मू क्षेत्र में छह सीटों को जोड़ने के परिसीमन आयोग के प्रस्ताव को ‘‘विभाजनकारी’’ करार दिया है। नेताओं के आवासों के बाहर खड़े किए गए ट्रकों को शाम को हटा दिया गया।