जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को समाप्त करने के बाद पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली में जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक दलों के साथ बातचीत करेंगे। गुरुवार को हो रही इस बैठक में जम्मू-कश्मीर के 4 पूर्व सीएम व 4 पूर्व डिप्टी सीएम सहित 14 नेता भाग लेंगे। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा बैठक में मौजूद रहेंगे। बैठक के एजेंडे पर गुपकार ने खुलकर भले ही कुछ न कहा हो, लेकिन उनकी मांग रहेगी कि अनुच्छेद 370 को दोबारा से बहाल किया जाए। 2019 में नरेंद्र मोदी ने दोबारा सत्ता संभालने के बाद अनुच्छेद 370 को समाप्त किया था। इसे भाजपा की तरफ से जनसंघ के संस्थापक सदस्य डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को सबसे बड़ी श्रद्धांजलि के तौर पर देखा गया। 66 साल पहले अनुच्छेद 370 हटाए जाने का स्वप्न डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने देखा था। पंजाब के एक छोटे से गांव में डॉ. मुखर्जी ने जो सपना देखा था, केंद्र की भाजपा सरकार ने उसे बहुमत मिलते ही पूरा कर दिया था। जानिए उस गांव के बारे में जहां से डॉ. मुखर्जी ने इस बदलाव की मांग की थी…
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35ए हटाए जाने का बिगुल 66 साल पहले डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने पठानकोट के माधोपुर में फूंका था। 1952 के संसद में अनुच्छेद 370 के खिलाफ प्रभावशाली भाषण के बाद माधोपुर में ही उन्होंने ‘एक देश में दो विधान, दो प्रधान और दो निशान नहीं चलेंगे’ का नारा भी भाजपाइयों को दिया।
पंजाब के आखिरी गांव माधोपुर से उन्होंने धारा 370 के खिलाफ जंग शुरू की थी और बिना परमिट के जम्मू-कश्मीर की यात्रा करने पर उन्हें गिरफ्तार किया गया और रहस्यमयी परिस्थितियों में उनकी मौत हुई।
उसी समय से भाजपा का नारा रहा है कि ‘जहां हुए बलिदान मुखर्जी वो कश्मीर हमारा है’। उन्हीं की याद में पंजाब और जम्मू कश्मीर सीमा स्थित माधोपुर में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी स्मारक (एकता स्थल) बनाया गया। जिस दिन अनुच्छेद 370 को समाप्त किया गया, जिला भाजपा ने डॉ. मुखर्जी के एकता स्थल पर जश्न मनाया। भाजयुमो और भाजपा के लोग ढोल नगाड़ों के साथ पहुंचे और डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें नमन किया। इसके बाद ढोल की थाप पर युवाओं ने डांस करके एक-दूसरे को बधाई दी थी।
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डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य थे, जनसंघ के बाद से ही बाद में भारतीय जनता पार्टी का उदय हुआ था। श्यामा प्रसाद मुखर्जी की अगुवाई में जनसंघ ने देश के बंटवारे का विरोध किया था। देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने मुखर्जी को अंतरिम सरकार में उद्योग एवं आपूर्ति मंत्री के रूप में शामिल किया था लेकिन नेहरू और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री लियाकत अली के बीच हुए समझौते के पश्चात उन्होंने मंत्रिमंडल से त्यागपत्र दे दिया था। वर्ष 1953 में 23 जून को जेल में रहस्यमयी परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गई थी।