अमेरिका और चीन के बीच वर्चस्व की लड़ाई जारी है। मौजूदा सरकार भले ही ट्रंप प्रशासन की तरह बयानबाजी नहीं कर रही है लेकिन जो बाइडेन ने ड्रेगन को साफ़ संकेत दे दिए हैं कि अमेरिका अभी भी चीन से आगे ही है। भारत को जी-7 बैठक में अमेरिका की तरफ से प्रपोजल मिला है, जिस पर भारत को विचार करने के लिए कहा गया है। अमेरिका की पूरी कोशिश है वो चीन को काबू में रखें। भारत को अमेरिका के राष्ट्रपति ने बाइडेन की तरफ से आये ग्लोबल इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट मिला है, जिस पर जल्द बड़ा फैसला ले सकता है। यह प्रोजेक्ट चीन के बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट का काउंटर टूल बताया जा रहा है।
चीन को बड़ा झटका लग सकता है अगर जी-7 देशों ने यूरोप से एशिया में दस्तक दी। दुनिया के बड़े लोकतांत्रिक देश इस बड़े प्रोजेक्ट का नेतृत्व करेंगे। जो इस प्रोजेक्ट में आर्थिक और तकनीकी तौर पर मदद करेंगे। एक अनुमान के मुताबिक इस प्रोजेक्ट में 40 मिलियन यूएस डॉलर खर्च होगा। कोरोना संकट के दौरान जो देश बेहद ज्यादा प्रभावित हुए उन देशों पर ये प्रोजेक्ट केंद्रित रहेगा। इस प्रोजेक्ट से उन देशों में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे, जो देश इस परियोजना में आएंगे।
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इस परियोजना को लेकर भारत का कहना है कि वो इस समय इस प्रोजेक्ट का अध्ययन कर रहा है, जिसके बाद ही परियोजना से जुड़ने पर वो कोई अंतिम फैसला लेगा। दूसरी तरफ चीन के बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट को लेकर उन देशों की आलोचना शुरू कर दी है, जो उसका हिस्सा हैं। उनका कहना है प्रोजेक्ट की वजह से उन पर कर्ज तो बढ़ा ही है लेकिन रोजगार के अवसर न मिलने से लोग काफी निराश हैं। चीन के प्रोजेक्ट में भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान, नेपाल और श्रीलंका शामिल हैं। इस समय ये तीनों देश चीन के कर्ज में दबे हुए हैं। जबकि भारत इससे दूर ही है।