कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसान आंदोलन ने पहले से ही मोदी सरकार के सामने मुश्किलें खड़ी कर रखी हैं, इसी बीच इस कृषि कानूनों ने सरकार को एक झटका और दिया है। दरअसल, इस कानून की वजह से शिरोमणि अकाली दल के बाद अब राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) ने भी एनडीए का साथ छोड़ दिया है। आरएलपी ने गठबंधन तोड़ने की आधिकारिक घोषणा की है। पार्टी ने अपनी घोषणा के साथ कहा है कि यह फैसला विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पूरी नहीं किए जाने की वजह से किया गया है।
मोदी सरकार का एक और साथी हुआ अलग
आरएलपी के संयोजक और राजस्थान के नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल ने हजारों किसानों की उपस्थिति में अलवर जिले में शाहजहांपुर-खेड़ा सीमा पर अपनी पार्टी के एनडीए से अलग होने की घोषणा की। किसानों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि बीजेपी के साथ आरएलपी का गठबंधन शनिवार को समाप्त हो गया है।
इससे पहले 19 दिसंबर को बेनीवाल ने किसानों के आंदोलन के समर्थन में संसद की तीन समितियों से इस्तीफा दे दिया था।
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आपको बता दें कि जब यह क़ानून संसद में बिल के रूप में पेश किया गया था, तब शिरोमणि अकाली दल ने विरोध और नाराजगी के चलते शिरोमणि अकाली दल ने एनडीए से 23 साल पुराना गठबंधन तोड़ दिया था। बीते 27 सितम्बर को शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने कृषि विधेयकों के विरोध में बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए से अलग होने की घोषणा की थी।