भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 2014 में पूर्ण बहुमत के साथ केंद्र में सरकार बनाई थी। उस समय से शुरू हुआ जीत का सिलसिला लगातार जारी है। हालांकि यह रातोंरात मिली जीत नहीं है। इस यात्रा में कई दशक का समय लगा है।
1984 के नतीजों के बाद बदली धारा : वाजपेयी के नेतृत्व में भाजपा ने शुरुआत में नरम रुख अपनाया था। हालांकि 1984 के लोकसभा चुनाव में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद पार्टी में विचारधारा को लेकर मंथन हुआ। 1986 में पार्टी की कमान अपेक्षाकृत सख्त छवि वाले लालकृष्ण आडवाणी के हाथ में आई। यहीं से धीरे-धीरे पार्टी ने खुद को मजबूत करना शुरू किया।
लोकसभा का सफर
1984 भाजपा के खाते में मात्र दो सीटें आईं
1989 85 सीटों पर जीत मिली और वीपी सिंह के नेतृत्व में नेशनल फ्रंट की सरकार को समर्थन दिया
1991 भाजपा ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया और पुन: चुनाव हुए। इस बार भाजपा को 120 सीटों पर जीत मिली
1996 165 सीटों के साथ भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनी। हालांकि पूर्ण बहुमत नहीं जुटा पाने के कारण वाजपेयी के नेतृत्व में बनी सरकार मात्र 13 दिन में गिर गई
1998 भाजपा ने 182 सीटों पर जीत हासिल की। भाजपा की अगुआई वाले राजग ने केंद्र में सरकार बनाई। वाजपेयी के नेतृत्व में सरकार 13 महीने चली
1999 भाजपा को फिर 182 सीटें मिलीं और राजग ने 303 सीटों पर जीत हासिल की। वाजपेयी के नेतृत्व में फिर सरकार बनी और इसने कार्यकाल पूरा किया
2004 भारत उदय अभियान बुरी तरह विफल रहा। राजग को अप्रत्याशित हार का सामना करना पड़ा। भाजपा को मात्र 138 सीटें मिलीं
2009 राजग को फिर हार मिली। 116 सीटों के साथ भाजपा मुख्य विपक्षी दल रही
2014 नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने शानदार वापसी की। पार्टी ने अकेले 282 सीटों पर जीत हासिल करते हुए बहुमत के आंकड़े (272) को पार कर लिया।
राजग को 336 सीटों पर जीत मिली। नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद संभाला
2019 सभी चुनावी पंडितों को झुठलाते हुए भाजपा ने पिछली बार से भी बेहतर प्रदर्शन किया। पार्टी को 303 सीटें और राजग को कुल 353 सीटें मिलीं। मोदी दूसरी बार प्रधानमंत्री बने
देश की आधी जनसंख्या पर भाजपा सरकारों का शासन : हाल में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा ने पांच में से चार राज्यों में जीत हासिल की है। इन राज्यों में पहले से भाजपा सरकार थी और सभी जगह पार्टी ने अपनी सरकार बचा ली है। इस तरह देश के आधे से ज्यादा राज्यों में भाजपा सरकार है। वैसे 2018 की तुलना में पार्टी की स्थिति थोड़ी कमजोर जरूर हुई है। 2018 में हुए विधानसभा चुनावों में पार्टी के हाथ से राजस्थान, छत्तीसगढ़, कर्नाटक और मध्य प्रदेश की सत्ता चली गई थी। इसके बाद महाराष्ट्र की सत्ता से भी पार्टी बाहर हो गई।
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मध्य प्रदेश और कर्नाटक में तो चुनाव बाद के घटनाक्रमों ने कुछ समय बाद पार्टी को फिर सत्ता में ला दिया, लेकिन अन्य तीन राज्य अब भी उसके खाते से बाहर हैं। देखा जाए तो 2018 भाजपा का स्वर्णकाल था। उस समय 21 राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों में भाजपा या सहयोगियों की सरकार थी। क्षेत्रफल के हिसाब से 76 प्रतिशत पर भाजपा शासन था और 70 प्रतिशत जनसंख्या इन सरकारों के दायरे में आती थी।