नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने ग्रामीण रोजगार से जुड़ी देश की सबसे बड़ी योजना पर बड़ा फैसला लेते हुए मनरेगा (MGNREGA) का नाम बदलने को मंजूरी दे दी है। बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में इसे नया नाम ‘पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार योजना’ (Pujya Bapu Gramin Rozgar Yojana) करने का निर्णय लिया गया।
सरकार ने न सिर्फ नाम बदला है, बल्कि योजना के तहत मिलने वाली गारंटीड रोजगार अवधि 100 दिन से बढ़ाकर 125 दिन कर दी है। इसके साथ ही न्यूनतम मजदूरी भी बढ़ाकर ₹240 प्रति दिन कर दी गई है।
मनरेगा की शुरुआत साल 2005 में नेशनल रूरल एम्प्लॉयमेंट गारंटी एक्ट (NREGA) के नाम से हुई थी, जिसे बाद में महात्मा गांधी से जोड़ते हुए MGNREGA कर दिया गया था। यह एक मजदूरी-आधारित सामाजिक सुरक्षा कानून है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने के अधिकार (Right to Work) को सुनिश्चित करना है।
क्या है मनरेगा?
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी और ऐतिहासिक योजना है, जिसकी शुरुआत गरीब और असंगठित ग्रामीण मजदूरों को रोजगार की गारंटी देने के उद्देश्य से की गई थी।
इस कानून के तहत हर ग्रामीण परिवार के इच्छुक वयस्क सदस्यों को साल में कम से कम 100 दिन का मजदूरी वाला काम देने का प्रावधान था, जिसे अब बढ़ाकर 125 दिन कर दिया गया है।
किस तरह का काम मिलता है?
इस योजना के तहत दिए जाने वाले कार्य श्रमप्रधान होते हैं, जिनमें शामिल हैं—
- सड़क निर्माण
- पोखर/तालाब की सफाई व खुदाई
- जल संरक्षण कार्य
- बागवानी
- सामुदायिक संपत्तियों का विकास
मनरेगा ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने, बेरोजगारी में कमी लाने और विशेष रूप से महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभाई है। यह योजना ग्रामीण जीवन को आर्थिक सुरक्षा और रोजगार की निरंतरता प्रदान करती है।
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