नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को नागरिकों से अपने संवैधानिक कर्तव्यों को निभाने का आग्रह किया और कहा कि ये मजबूत लोकतंत्र की नींव हैं। संविधान दिवस पर नागरिकों को संबोधित पत्र में प्रधानमंत्री ने मताधिकार का प्रयोग करके लोकतंत्र को मजबूत करने की जिम्मेदारी पर भी जोर दिया और सुझाव दिया कि स्कूल और कॉलेज 18 वर्ष की आयु पूरी करके पहली बार मतदाता बनने वालों का सम्मान करते हुए संविधान दिवस मनाएं।
मोदी ने महात्मा गांधी के इस विचार को याद किया कि अधिकार कर्तव्यों के निर्वहन से ही प्राप्त होते हैं। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि कर्तव्यों का निर्वहन सामाजिक और आर्थिक प्रगति का आधार है। प्रधानमंत्री ने संविधान का मसौदा तैयार करने में राजेंद्र प्रसाद, बी.आर. आंबेडकर और कई अन्य लोगों के योगदान को याद किया। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में वल्लभभाई पटेल, बिरसा मुंडा और महात्मा गांधी के नेतृत्व को भी श्रद्धांजलि दी। प्रधानमंत्री ने कहा, ये सभी व्यक्तित्व और उपलब्धियां हमें अपने कर्तव्यों की प्रधानता की याद दिलाती हैं, जिस पर संविधान के अनुच्छेद 51ए में मौलिक कर्तव्यों पर एक विशिष्ट अध्याय के माध्यम से भी बल दिया गया है। ये कर्तव्य हमें सामूहिक रूप से सामाजिक और आर्थिक प्रगति का मार्गदर्शन देते हैं।
उन्होंने याद दिलाया कि महात्मा गांधी हमेशा एक नागरिक के कर्तव्यों पर जÞोर देते थे। मोदी ने कहा, उनका मानना था कि कर्तव्य का अच्छी तरह से पालन करने से एक समान अधिकार का सृजन होता है और वास्तविक अधिकार कर्तव्य पालन का परिणाम होते हैं। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि नीतियां और आज लिए गए निर्णय आने वाली पीढÞियों के जीवन को आकार देंगे। प्रधानमंत्री ने नागरिकों से आग्रह किया कि विकसित भारत के लक्ष्य की ओर बढ़ते हुए वे अपने कर्तव्यों को सर्वाेपरि रखें। प्रधानमंत्री ने कहा, हमारे देश ने हमें बहुत कुछ दिया है और इससे हमारे भीतर कृतज्ञता की एक गहरी भावना जागृत होती है।
और जब हम इस भावना के साथ जीते हैं, तो अपने कर्तव्यों को पूरा करना हमारे स्वभाव का अभिन्न अंग बन जाता है। अपने कर्तव्यों का पालन करने के लिए प्रत्येक कार्य में अपनी पूरी क्षमता और समर्पण लगाना अनिवार्य हो जाता है। उन्होंने कहा, हमारा प्रत्येक कार्य संविधान को मजबूत करने वाला होना चाहिए तथा हमें राष्ट्रीय लक्ष्यों और हितों को आगे बढ़ाना चाहिए। आखिरकार हमारे संविधान निर्माताओं द्वारा देखे गए सपनों को पूरा करना हमारी जिम्मेदारी है। प्रधानमंत्री ने कहा, जब हम इस कर्तव्य-बोध के साथ काम करेंगे, तो हमारे देश की सामाजिक और आर्थिक प्रगति कई गुना बढ़ जाएगी। मोदी ने कहा कि सरदार पटेल के दूरदर्शी नेतृत्व ने भारत का राजनीतिक एकीकरण किया। उन्होंने कहा, यह उनकी प्रेरणा और दृढ़ विश्वास का साहस था जिसने अनुच्छेद 370 और 35(ए) के खिलाफ कार्वाई करने के हमारे कदमों का मार्गदर्शन किया। भारत का संविधान अब जम्मू कश्मीर में पूरी तरह से लागू है, जो लोगों विशेषकर महिलाओं और हाशिए पर पड़े समुदायों के सभी संवैधानिक अधिकारों को सुनिश्चित करता है।
मोदी ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा का जीवन जनजातीय समुदायों के लिए न्याय, सम्मान और सशक्तीकरण सुनिश्चित करने के भारत के संकल्प को प्रेरित करता रहेगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि संविधान ने नागरिकों को मतदान का अधिकार दिया है। उन्होंने कहा,नागरिकों के रूप में यह हमारा कर्तव्य है कि हम राष्ट्रीय, राज्य और स्थानीय चुनावों में मतदान करने का अवसर कभी न चूकें, जहां हम पंजीकृत हैं। प्रधानमंत्री ने स्कूलों और कॉलेजों में हर साल 26 नवंबर को 18 वर्ष की आयु पूरी करने वाले युवाओं के सम्मान में विशेष समारोह आयोजित करने का भी आह्वान किया। मोदी ने कहा, इस तरह हमारे पहली बार मतदान करने वाले मतदाताओं को यह महसूस होगा कि छात्र होने के अलावा वे राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में भी सक्रिय भागीदार हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह संविधान की शक्ति थी जिसने एक साधारण और आर्थिक रूप से वंचित परिवार से आने वाले उनके जैसे व्यक्ति को 24 वर्षों से अधिक समय तक लगातार सरकार के प्रमुख के रूप में सेवा करने में सक्षम बनाया। उन्होंने कहा, मुझे आज भी 2014 के वो पल याद हैं, जब मैं पहली बार संसद आया था और लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर की सीढÞियों को छूकर प्रणाम किया था। मोदी ने कहा कि 2019 में चुनाव परिणामों के बाद जब उन्होंने संविधान सदन के सेंट्रल हॉल में प्रवेश किया तो उन्होंने झुककर संविधान को अपने माथे से लगाया। उन्होंने कहा, इस संविधान ने मेरे जैसे कई अन्य लोगों को सपने देखने की शक्ति और उसके लिए काम करने की ताकत दी है।
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