Sarkari Manthan:- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आज का दिन अत्यंत महत्वपूर्ण है। आजादी के आंदोलन का मंत्र बने वन्दे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने पर प्राधनमंत्री मोदी ने इस दिवस को स्मृति दिवस के रूप में आयोजित करने के लिए देशवासियों को नई प्रेरणा दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि वन्दे मातरम् भारत की आजादी का अमर मंत्र बन गया था। उस दौरान विदेशी हुकूमत के द्वारा दी जाने वाली अनेक यातनाओं, प्रताड़नाओं की परवाह किए बिना भारत का हर नागरिक (स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, क्रांतिकारी) वन्दे मातरम् गीत के साथ गांव, नगर, प्रभातफेरी के माध्यम से भारत की सामूहिक चेतना के जागरण के अभियान से जुड़ चुका था।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वन्दे मातरम् के 150 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में लोकभवन में आयोजित कार्यक्रम में अपनी बातें रखीं। इस दौरान राष्ट्रगीत का सामूहिक गायन हुआ और स्वदेशी का संकल्प भी लिया गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राष्ट्रगीत के रचयिता बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय को नमन किया। मुख्यमंत्री ने प्रदर्शनी का अवलोकन किया। लोकभवन में उपस्थित लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित कार्यक्रम का लाइव प्रसारण भी देखा।
मुख्यमंत्री योगी ने 100 वर्ष पूर्व देश के अंदर आई महामारी का जिक्र करते हुए कहा कि उस समय भारत की आबादी कुल 30 करोड़ थी और इस महामारी से मरने वालों की संख्या भी करोड़ों में थी। गांव के गांव साफ हो गए थे। स्वतंत्र भारत में कोविड जैसी महामारी का संक्रमण भी दुनिया ने झेला है। इस महामारी के दौरान शासन-प्रशासन हो या अल्पवेतन भोगी, जान की परवाह किए बिना सभी के मन में एक ही भाव था कि इसे नियंत्रित करना है और इसके समाधान का रास्ता निकालना है।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि भारत और भारतीयता, नागरिकों के बारे में संवेदनशील तरीके से वह नेतृत्व ही सोच सकता है, जो उस भावना से ओतप्रोत हो। आजादी के मंत्र को बढ़ाने में मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि 1875 में रचा गया यह गीत केवल आजादी का ही गीत नहीं रहा, बल्कि देश के अंदर आजादी के मंत्र को बढ़ाने में भी सफल हुआ। वन्दे मातरम् गीत संस्कृत व बांग्ला की सामूहिक अभिव्यक्ति को भले ही प्रदर्शित करता हो, लेकिन यह संपूर्ण भारत को राष्ट्र माता के भाव के साथ जोड़ने का अमर गीत बन गया।
इसने भारत की शाश्वत अभिव्यक्ति को देशवासियों के सामने प्रस्तुत किया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब विदेशी हुकूमत ने 1905 में बंग-भंग के माध्यम से भारत की भुजाओं को काटने का दुस्साहिक निर्णय लिया था, उस समय भी इस गीत ने पूरे भारतवासियों को एकजुट होकर प्रतीकार करने की प्रेरणा दी। उसके बाद के कालखंड में जब भी किसी क्रांतिकारी ने फांसी के फंदे को चूमा, तब उसके मुख से वंदे मातरम् मंत्र ही निकलता रहा।
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