देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राष्ट्रीय डॉक्टर्स डे पर चिकित्सकों को सम्मानित किया। इस मौके पर उन्होंने डॉक्टरों को सेवा, संवेदना और समर्पण का प्रतीक बताते हुए डॉक्टरी को एक “नोबल प्रोफेशन” कहा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार का लक्ष्य है कि उत्तराखंड के हर नागरिक को सस्ती दरों पर गुणवत्तापूर्ण चिकित्सकीय सुविधाएँ उपलब्ध कराई जा सकें। उन्होंने बताया कि राज्य में अब तक 58 लाख से अधिक आयुष्मान कार्ड वितरित किए जा चुके हैं, और 11 लाख से अधिक मरीजों को 2100 करोड़ रुपये से अधिक के कैशलेस उपचार का लाभ मिला है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के प्रत्येक जिले में मेडिकल कॉलेज की स्थापना की जा रही है। वर्तमान में पांच मेडिकल कॉलेज संचालित हैं और दो नए कॉलेजों का निर्माण कार्य प्रगति पर है। देहरादून, श्रीनगर और हल्द्वानी के मेडिकल कॉलेजों में सुपर स्पेशियलिटी सुविधाएँ उपलब्ध कराई गई हैं। हल्द्वानी में राज्य का पहला आधुनिक कैंसर संस्थान निर्माणाधीन है।
उन्होंने कहा कि राज्य के हर क्षेत्र के लिए हेली एंबुलेंस सेवा शुरू की गई है, जो आपात स्थितियों में जीवन रक्षक साबित हो रही है। 207 प्रकार की पैथोलॉजिकल जांचों की निशुल्क सुविधा भी दी जा रही है। टेलीमेडिसिन सेवाओं के माध्यम से दूरस्थ क्षेत्रों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की परामर्श सेवा भी उपलब्ध कराई जा रही है। सभी सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में स्टाफ की कमी दूर करने के प्रयास जारी हैं।
मुख्यमंत्री ने भारतीय चिकित्सा परंपरा का उल्लेख करते हुए कहा कि आचार्य नागार्जुन और महर्षि सुश्रुत जैसे वैज्ञानिकों के सिद्धांतों पर आधुनिक चिकित्सा विज्ञान भी गर्व करता है। डॉक्टर केवल इलाज नहीं करते, बल्कि संकट की घड़ी में रोगी और उसके परिवार के लिए सबसे बड़ी आशा बनते हैं।
कोरोना महामारी की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि उस कठिन समय में डॉक्टरों ने निःस्वार्थ भाव से सेवा की, जो मानवता के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में दर्ज है। डॉक्टरों ने पीपीई किट पहनकर, संक्रमण के जोखिम में रहकर, अपनों से दूर रहकर जो सेवा की, वह प्रेरणास्रोत है।
कार्यक्रम में डॉ आर. के. जैन, डॉ गीता खन्ना, डॉ सुनीता टमटा, डॉ कृष्ण अवतार, डॉ आर. एस. बिष्ट, डॉ अशोक कुमार, डॉ आशुतोष स्याना, डॉ महेश कुड़ियाल, डॉ प्रशांत, डॉ नंदन बिष्ट सहित विभिन्न सरकारी व निजी चिकित्सक उपस्थित रहे।