नई दिल्ली/देहरादून। सेवानिवृत्त कर्मचारियों के देयकों के भुगतान की एवज में रिश्वत मांगने, अनुबंधित बस आपरेटरों व ढाबा संचालकों से हर माह मोटी रकम लेने के आरोप में विजिलेंस जांच का सामना कर रहे उत्तराखंड परिवहन निगम के उपमहाप्रबंधक भूपेंद्र कुमार को सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली है। पिछले लगभग दो वर्ष से चल रही जांच के बीच जनवरी में भूपेंद्र कुमार का तबादला निगम मुख्यालय देहरादून से आईएसबीटी दिल्ली किया गया था।
ज्वाइनिंग लेने के बजाय वह छुट्टी पर चले गए। प्रबंध निदेशक के तबादला आदेश के खिलाफ भूपेंद्र कुमार पहले नैनीताल हाईकोर्ट गए और वहां से राहत न मिलने पर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। अब सुप्रीम कोर्ट ने भी उनकी अपील खारिज कर हाईकोर्ट के आदेश यथावत रखे हैं। गत आठ मार्च को हाईकोर्ट ने मामले में हुई सुनवाई के बाद विजिलेंस को तीन माह में जांच पूरी करने के आदेश दिए थे, जो समय-सीमा आठ जून को खत्म हो रही है।
22 जून-2023 को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विजिलेंस जांच पुष्कर बैठाई थी, लेकिन विजिलेंस 23 माह बीत जाने के बावजूद जांच पूरी नहीं कर सकी है। विजिलेंस पर जांच में ढिलाई बरतने के आरोप लग रहे हैं। हाईकोर्ट ने आठ मार्च को सुनवाई के बाद विजिलेंस को आड़े हाथों लेते हुए तीन माह के भीतर जांच को पूरी कर रिपोर्ट सौंपने के आदेश दिए थे।
हाईकोर्ट ने यह चेतावनी भी दी हुई है कि यदि तीन माह में जांच पूरी नहीं की तो न्यायालय स्वतः संज्ञान लेकर कार्रवाई कर सकता है। अब चूंकि, को सुप्रीम कोर्ट से भी भूपेंद्र कुमार को राहत नहीं मिली है तो ऐसे में विजिलेंस पर भी जांच पूरी करने का दवाव बन गया है।
बता दें कि राज्य निगम कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष व परिवहन निगम से सेवानिवृत्त दिनेश गोसाई की ओर से डीजीएम भूपेंद्र कुमार के विरुद्ध 11 पेज का शिकायती पत्र मुख्यमंत्री को दिया गया था।गत एक जनवरी को परिवहन निगम की प्रबंध निर्देशक रीना जोशी ने डीजीएम भूपेंद्र कुमार का आइएसबीटी दिल्ली तबादला कर दिया था। साथ ही यह आदेश भी दिया था कि भूपेंद्र वित्तीय कार्य से जुड़ा कोई निर्णय नहीं लेंगे। भूपेंद्र ने दिल्ली ज्वाइन नहीं किया और आदेश के विरुद्ध हाईकोर्ट में अपील करते हुए दावाकिया कि वह राज्य सड़क परिवहन निगम के कर्मचारी हैं, ऐसे में उनका तबादला राज्य से बाहर नहीं किया जा सकता।
वहीं, राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि उनके विरुद्ध विजिलेंस जांच लंबित है। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की ओर से तबादला आदेश को वैध ठहराया गया था। डीजीएम भूपेंद्र कुमार के मामले में विजिलेंस जांच लगभग अंतिम चरण में है। चूंकि, हाईकोर्ट ने जांच पूरी कर रिपोर्ट देने के लिए आठ जून तक कासमय दिया हुआ है, ऐसे में विजिलेंस निर्धारित समय पर हाईकोर्ट को जांच रिपोर्ट सौंप देगी।
मुख्यमंत्री को दी गई शिकायत में डीजीएम भूपेंद्र के पंजाब नेशनल बैंक इंद्रानगर और यूनियन बैंक आफ इंडिया हरिद्वार बाईपास स्थित बैंक खातों में अनुबंधित बस आपरेटरों से अलग-अलग तिथियों पर मोटी राशि जमा होने का आरोप है। इसके अतिरिक्त भूपेंद्र कुमार की पत्नी, बेटे व बेटी के नाम पर संचालित बैंक खातों में भी लाखों रुपये अनुबंधित आपरेटरों की ओर से जमा कराने के आरोप हैं।