लखनऊ की पूर्व महापौर संयुक्ता भाटिया की माता जी का 99 वर्ष की आयु में हुआ स्वर्गवास

  • भारत बंटवारे पर रजाई में छुप कर पाकिस्तान से भारत आई थी पूर्व महापौर और उनकी माँ अनसुईया

लखनऊ। सोमवार 24/03/2025 को लखनऊ की पूर्व महापौर श्रीमती संयुक्ता भाटिया की मां श्रीमती अनसुईया गिरोत्रा का स्वर्गवास हो गया। वह 99 वर्ष की थी। उन्होंने जनपद बस्ती में परिवार के बीच अंतिम स्वास ली।

महापौर रहते हुए संयुक्ता भाटिया ने अपनी माँ के नाम पर ही ‘अनसुईया रसोई’ का शुभारम्भ किया था जिसमें लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के ट्रॉमा सेंटर में दूर दराज से आए बीमार मजलूम और तिमारदारों को मात्र ₹10 रुपये में भरपेट भोजन उपलब्ध कराया गया था, संयुक्ता भाटिया का कहना था कि कठिन परिस्थितियों में भोजन व्यवस्था एक अति महत्वपूर्ण विषय होता है और वह स्वयं बचपन में इसका एहसास कर चुकी थी।

ज्ञात हो कि पूर्व महापौर संयुक्ता भाटिया जब मात्र 9 माह की थी तब भारत विभाजन के समय उपजी मजहबी हिंसा के कारण उनके नाना और माता श्रीमती अनसुईया गिरोत्रा तब भारत (पंजाब) (अब पाकिस्तान) के लायलपुर जिला के झंग शहर से रात्रि में अपने धन-दौलत, जमीन-जायदाद सब कुछ छोड़ कर विस्थापित हो गई थी और पाकिस्तान से भारत का सफर पैदल तय किया था।

इस दौरान रास्ते मे लूटपाट के लिए मजहबी आक्रांताओं से बचने के लिए बैलगाड़ी पर रजाई के अंदर छुप कर अनसुईया गिरोत्रा ने स्वयं और अपनी 9 माह की पुत्री संयुक्ता की जान बचाई थी। लगभग 2.5 साल विस्थापितों के कैम्प में गुजारने के बाद वह किसी तरह अपने परिवार से मिलने में सफल हो पाई थी।

स्व० अनसुईया गिरोत्रा अपने जीवन में तीन पीढ़ियां पुत्र, पौत्र सहित पड़पोते भी खिला कर गई हैं। उनकी बेटी संयुक्ता भाटिया ने बताया कि अंतिम समय तक वह सभी को पहचानती थी और जो कोई भी मिलने आता था उसके पूरे परिवार के बारे में सबका नाम बोलकर सबका हालचाल पूछा करती थी। उनके द्वारा दिए गए संस्कार ही हमारे जीवन की सबसे बड़ी अमूल्य पूंजी है, वह सभी को अत्यंत स्नेह प्रेम करती थी।

बस्ती के मूड़घाट पर आज उनका अंतिम संस्कार किया गया। अंतिम संस्कार में उनकी बेटी संयुक्ता भाटिया, नीरू फाडा, पुत्र अरुण, संजीव, अजय गिरोत्रा, पुत्रवधू अचला, अंजना, ऋतू , उनके नाती प्रशान्त, पौत्र अमित, शेखर, अनुज, सुशांत, शांतनु, पोती स्मिता, शिखा, निष्ठा, पड़पोती अग्रिमा, पड़पोता अद्विक, अन्य परिवारी सदस्यों सहित बस्ती जिले के संभ्रांत लोग शामिल थे।