नई दिल्ली। भारत सरकार ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के गिलगित-बल्तिस्तान को प्रांत का अस्थायी दर्जा देने के फ़ैसले का कड़ा विरोध किया है। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा है कि भारतीय क्षेत्र के हिस्से में ग़ैरक़ानूनी और जबरन भौतिक परिवर्तन लाने की पाकिस्तान सरकार की कोशिश को भारत सरकार अस्वीकार करती है।
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उन्होंने कहा, “मैं इस बात को दोहराता हूं कि तथाकथित गिलगित-बल्तिस्तान इलाक़ा क़ानूनी तौर पर और 1947 के विलय के समझौते के मुताबिक़ भारत के केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर का अभिन्न हिस्सा है।” “इन भारतीय क्षेत्रों की स्थिति को बदलने की मांग की बजाय, हम पाकिस्तान से अपने अवैध कब्जे के तहत सभी क्षेत्रों को तुरंत खाली करने की अपील करते हैं। ” इससे पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने कहा था कि उनकी सरकार ने गिलगित-बल्तिस्तान को प्रांत का अस्थायी दर्जा देने का निर्णय लिया है। उनका कहना था कि “संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है।” इमरान ख़ान ने रविवार को गिलगित-बल्तिस्तान के 73वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आयोजित आज़ादी परेड समारोह को संबोधित करते हुए यह ऐलान किया। उन्होंने कहा कि “पाकिस्तान सरकार ने आज गिलगित-बल्तिस्तान के लोगों का लंबे समय से अधूरा ख़्वाब पूरा कर दिया।
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भारत ने किया विरोध
जब सितंबर में पहली बार गिलगित-बल्तिस्तान क्षेत्र को लेकर पाकिस्तान से इस तरह की ख़बरें आयी थीं, तो भारत ने उसकी आलोचना की थी। भारत ने हमेशा ही पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर और गिलगित-बल्तिस्तान क्षेत्र में किसी भी तरह के बदलाव का विरोध किया है। बता दें कि भारत, पाकिस्तान, चीन और तज़ाकिस्तान समेत चार देशों की सीमाएं इस एक क्षेत्र को छूती हैं।