सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को गुजरात सरकार से गिर सोमनाथ में दरगाह, मस्जिद और अन्य स्थानों को ध्वस्त किये जाने के संबंध में दायर याचिका पर सुनवाई की। इस सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने सरकारी संस्था द्वारा किये जा रहे ध्वस्तीकरण पर रोक लगाने से इनकार जरूर कर दिया है, लेकिन उन्होंने याचिका का जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि यदि उन्हें लगता है कि इस मामले में उसके आदेश की अवमानना हुई है, तो वह न केवल कथित दोषी अधिकारियों को जेल भेजेगा, बल्कि ढांचे को बहाल करने का भी आदेश देगा।
न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए ये टिप्पणियां कीं।
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 16 अक्टूबर की तारीख तय की। आखिरकार सुप्रीम कोर्ट नोटिस जारी करने के लिए तैयार हो गई, लेकिन सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने हस्तक्षेप किया और कहा कि बेदखली की कार्यवाही 2023 में शुरू की गई थी और जमीन सरकार की है।
एसजी मेहता ने यह भी कहा कि ये संरचनाएं एक जल निकाय के बगल में थीं और प्रक्रिया का पालन करने के बाद यह कार्रवाई की गई। एसजी की बात सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने कहा कि वह नोटिस जारी नहीं करेगी, लेकिन राज्य से जवाब मांगेगी।
याचिकाकर्ताओं के वकील ने दी दलील
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े और अधिवक्ता अनस तनवीर ने शीर्ष अदालत से यथास्थिति बनाए रखने का आग्रह किया। हालांकि, अदालत इससे सहमत नहीं हुई। इस बीच, उसने यह स्पष्ट कर दिया कि वह आदेश पारित करेगा, जो सभी पर समान रूप से लागू होगा।
सुम्मास्त पत्नी मुस्लिम जमात ने अधिवक्ता अनस तनवीर के माध्यम से एक याचिका दायर की है और 17 सितम्बर के आदेश का जानबूझकर उल्लंघन करने के लिए गुजरात प्राधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने की मांग की है।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया था ये आदेश
17 सितंबर को शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया कि अगली सुनवाई की तारीख तक इस अदालत की अनुमति के बिना देश भर में कहीं भी कोई तोड़फोड़ नहीं की जाएगी। हालांकि, 17 सितंबर को अदालत ने स्पष्ट किया कि उसका आदेश उन मामलों पर लागू नहीं होगा, जहां किसी सार्वजनिक स्थान जैसे सड़क, गली, फुटपाथ, रेलवे लाइन या किसी नदी या जल निकाय पर कोई अनधिकृत संरचना है और उन मामलों पर भी लागू नहीं होगा, जहां अदालत द्वारा ध्वस्तीकरण का आदेश दिया गया है।
संगठन ने कहा कि गुजरात के अधिकारियों ने 28 सितंबर, 2024 को सुबह-सुबह मस्जिदों, ईदगाहों, दरगाहों, मकबरों के मुतवल्लियों के आवासीय स्थलों सहित सदियों पुराने मुस्लिम धार्मिक स्थलों को अवैध रूप से ध्वस्त कर दिया है, जबकि इस तरह के विध्वंस के लिए कोई नोटिस जारी नहीं किया गया और सुनवाई का कोई अवसर भी नहीं दिया गया।
‘सरकार ने की सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना’
याचिकाकर्ता ने कहा कि प्रतिवादियों ने उक्त ध्वस्तीकरण की कार्रवाई करके, उक्त आदेश की घोर अवहेलना की है, जिससे आम जनता की नजरों में न्यायालय की गरिमा कम हुई है तथा न्यायालय के आदेशों का घोर अनादर किया गया है।
याचिकाकर्ता, जो प्रभास पाटन के पाटनी मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाला एक ट्रस्ट है, ने उन धार्मिक स्थलों को संरक्षित करने की मांग की है जिनका ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व है।
याचिकाकर्ता ने कहा कि इनमें हाजी मंगरोली शाह बाबा की कब्र, दरगाह, मस्जिद और कब्रिस्तान शामिल हैं, जिनका इस्तेमाल स्थानीय मुस्लिम समुदाय द्वारा एक सदी से भी ज़्यादा समय से किया जा रहा है और वे इनका सम्मान करते हैं। कब्र और उसके आस-पास के कब्रिस्तान जूनागढ़ राज्य के समय से ही मौजूद हैं, और उनके स्वामित्व और उपयोग का मामला 1903 में ही देखरेख में पारित एक कानूनी प्रस्ताव के ज़रिए सुलझा लिया गया था।