मुंबई के धारावी में बीते सोमवार को महबूब-ए-सुभानिया मस्जिद के अवैध विस्तार को तोड़ दिया गया है। दरअसल, बताया जा रहा है कि इस अनधिकृत निर्माण को ट्रस्ट की ओर से खुद तोड़ दिया गया है। हालांकि, इस दौरान बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) के अधिकारी और पुलिस बल भी मौजूद रहे।
दरअसल, इस अवैध निर्माण को तोड़ने के लिए पिछले सप्ताह इसके पहले पिछले सप्ताह बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) ने मस्जिद के अवैध निर्माण को तोड़ने की पहल थी। तब भारी संख्या में मुस्लिम समुदाय ने सड़क पर उतारकर जमकर विरोध प्रदर्शन किया था।
प्रदर्शनकारियों ने नगर निगम के अधिकारियों को उस सड़क पर जाने से रोक दिया जहां मस्जिद स्थित है, जिसके परिणामस्वरूप गतिरोध पैदा हो गया। धारावी पुलिस स्टेशन के बाहर भीड़ जमा हो गई, सड़कों को अवरुद्ध कर दिया और अपना असंतोष व्यक्त किया।
रिपोर्ट्स बताती हैं कि विरोध प्रदर्शन के दौरान सरकारी गतिविधि में बाधा डालने, उपद्रव भड़काने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोप में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया था।
पुलिस जांच के अनुसार, अज्ञात खातों से कई आक्रामक सोशल मीडिया संदेशों ने बीएमसी के खिलाफ धारावी विरोध प्रदर्शन में व्यापक भागीदारी को प्रोत्साहित किया। नतीजतन, अनुमानित 5,000 इस्लामवादी इकट्ठे हुए, जिनमें से कई जाहिर तौर पर तत्काल आसपास के क्षेत्र से यात्रा कर रहे थे।
प्रदर्शन के दौरान बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) के दो वाहनों में तोड़फोड़ की गई तथा बांस की डंडियों और पत्थरों से उनके आगे के शीशे तोड़ दिए गए।
बड़ी संख्या में लोगों के एकत्र होने से यातायात में भी काफी व्यवधान उत्पन्न हुआ। हालांकि, धारावी पुलिस और यातायात पुलिस ने लाउडस्पीकर से घोषणा करके सड़कों को साफ करने में सफलता पाई।
सोमवार की कार्रवाई तब शुरू हुई जब बीएमसी अधिकारी निरीक्षण के लिए आए और अवैध विस्तार को हटाने की मांग की। मस्जिद ने पहले वादा किया था कि वह अवैध विस्तार को हटा देगी, लेकिन अंततः ऐसा करने में विफल रही। वादे की समय सीमा बीत जाने के लगभग पांच दिन बाद बीते सोमवार को विध्वंस का काम शुरू हुआ।
इलाके में रहने वाले मुसलमान अभी भी अवैध निर्माण को हटाने के खिलाफ़ प्रदर्शन कर रहे हैं। उनका कहना है कि मस्जिद के अलावा कई और भी निर्माण हैं, जिनका अवैध रूप से विस्तार किया गया है, लेकिन सरकार सिर्फ़ मस्जिद के ऊपर बने अवैध निर्माण को हटाने की कोशिश कर रही है।
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माना जा रहा है कि यह मस्जिद 1988 में बनी एक पुरानी मस्जिद है और इस ढांचे का अवैध विस्तार कोविड काल में ही हुआ है। पहले मस्जिद में सिर्फ़ एक भूतल था, लेकिन बाद में इसमें एक और मंजिल जोड़ दी गई। हाल ही में कोविड-19 महामारी के दौरान ट्रस्ट के सदस्यों ने अवैध रूप से पुराने ढांचे के ऊपर गुंबद और एक और मंजिल बना ली थी।