बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिन्दुओं के खिलाफ हुई हिंसक घटनाओं की आग अब भारत दौरे पर आई भारत-बांग्लादेश टेस्ट सीरीज तक पहुंच गई है। दरअसल, भारत-बांग्लादेश टेस्ट श्रृंखला को रद्द करने की मांग करते हुए गुरुवार को हिंदूवादी संगठन हिंदू मक्कल कच्ची (एचएमके) के सदस्यों ने चेन्नई में जमकर विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने भारत सरकार तथा क्रिकेट बोर्ड से बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा के मद्देनजर चल रही भारत-बांग्लादेश टेस्ट श्रृंखला को रोकने का आग्रह किया।
एचएमके प्रमुख अर्जुन संपत के नेतृत्व में प्रदर्शनकारियों ने बांग्लादेशी हिंदुओं की सुरक्षा की मांग करते हुए नारे लगाए और सीरीज पर प्रतिबंध लगाने की मांग की।
संपत ने दावा किया कि बांग्लादेश में हिंदू आबादी 1971 में 26 प्रतिशत थी, जो नाटकीय रूप से घटकर आज लगभग 7 प्रतिशत रह गई है। उन्होंने इस गिरावट के लिए कथित हिंसा और उत्पीड़न को जिम्मेदार ठहराया, जिसमें मंदिरों का विनाश और हिंदू महिलाओं पर हमले शामिल हैं।
संपत ने संवाददाताओं से कहा कि आज हिंदू मक्कल कच्ची ने एमए चिदंबरम स्टेडियम के सामने प्रदर्शन किया और बांग्लादेश टीम के साथ चल रहे क्रिकेट मैच को तत्काल रद्द करने की मांग की। बांग्लादेश में हजारों हिंदू बेघर हो गए हैं और सैकड़ों मारे गए हैं, हम इस खेल को रोकने के लिए आईसीसी से तत्काल हस्तक्षेप करने का आग्रह करते हैं।
विरोध प्रदर्शन का उस वक्त किया गया जब भारत-बांग्लादेश के बीच दो मैचों की सीरीज का पहला टेस्ट मैच खेला जा रहा था। यह सीरीज विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) का हिस्सा है, जिसमें दोनों टीमों के लिए महत्वपूर्ण अंक दांव पर लगे हैं। 68।52 प्रतिशत अंकों के साथ WTC तालिका में भारत शीर्ष पर चल रहा है। पाकिस्तान के खिलाफ श्रृंखला जीतने वाली बांग्लादेश टीम वर्तमान में विश्व टेस्ट चैंपियनशिप रैंकिंग में चौथे स्थान पर है।
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एचएमके प्रदर्शनकारियों ने इस बात पर जोर दिया कि बांग्लादेशी हिंदुओं की दुर्दशा की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए श्रृंखला को रोका जाना चाहिए।
आपको बता दें कि शेख हसीना के नेतृत्व वाली सरकार के पतन के बाद से बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हमलों को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं । पिछले महीने, ढाका और चटगाँव में हज़ारों हिंदुओं ने सुरक्षा की माँग करते हुए विरोध प्रदर्शन किया। बांग्लादेश नेशनल हिंदू ग्रैंड अलायंस ने बताया कि अगस्त से लेकर अब तक 48 जिलों में 278 स्थानों पर हिंदू समुदाय पर हमले हुए हैं।