रांची: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने झारखंड में कुछ बांग्लादेशी महिलाओं की संदिग्ध घुसपैठ की घटना की जांच के लिए धन शोधन का मामला दर्ज किया है। ईडी ने रांची के बरियातू थाने में 4 जून को दर्ज एफआईआर के आधार पर मामला दर्ज किया है। जांच में पता चला कि बांग्लादेशी निजी एजेंटों की मदद से अवैध तरीके से देश में घुसपैठ कर रहे हैं और उन्हें भारतीय नागरिकता साबित करने के लिए फर्जी दस्तावेज मुहैया कराए जा रहे हैं।
हाल ही में रांची के एक रिसॉर्ट से एक अन्य लड़की की मदद से कोलकाता लाई गई तीन बांग्लादेशी लड़कियों को गिरफ्तार किया गया। पुलिस जांच के दौरान उनके पास भारत में बने फर्जी आधार कार्ड पाए गए। पुलिस जांच के आधार पर ईडी ने इस मामले को मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत जांच के लायक पाया।
एक समाचार पोर्टल के मुताबिक़, नाम न बताने की शर्त पर ईडी के एक अधिकारी ने बताया कि यह मामला एजेंटों की मदद से बांग्लादेशी नागरिकों की भारत में अवैध घुसपैठ से जुड़ा है, जो उन्हें भारतीय नागरिकता साबित करने वाले फर्जी दस्तावेज मुहैया करा रहे हैं। कई लोग अवैध घुसपैठ से जुड़ी अवैध गतिविधियों में शामिल हैं, फर्जी पहचान प्रमाण बना रहे हैं, जो पीएमएलए, 2002 की धारा 2 (1) (यू) के तहत दी गई परिभाषा के अनुसार अपराध की आय से जुड़ी आपराधिक गतिविधियां हैं।
उन्होंने कहा कि इसलिए बांग्लादेश से भारत में ऐसे लोगों की अवैध घुसपैठ और ऐसी गतिविधियों को सुविधाजनक बनाने वाले एजेंटों की जांच करना आवश्यक है, जिनका उद्देश्य अपराध से धन अर्जित करना और अन्य आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देना है।
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बांग्लादेशी घुसपैठ और संथाल परगना की बदलती जनसांख्यिकी पर एक जनहित याचिका के सिलसिले में झारखंड उच्च न्यायालय में हाल ही में दायर अपने हलफनामे में केंद्र ने खुलासा किया है कि घुसपैठ के कारण इस क्षेत्र में आदिवासी आबादी में 16% की कमी आई है। केंद्र ने उच्च न्यायालय को यह भी बताया कि संथाल परगना के छह जिलों में मुस्लिम आबादी में 20% से 40% तक की वृद्धि हुई है।