जूनियर डॉक्टरों और पश्चिम बंगाल सरकार के बीच एक महीने से चल रहा गतिरोध गुरुवार को और बढ़ गया, जब प्रदर्शनकारियों ने बातचीत में शामिल होने से इनकार कर दिया। इसके बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दावा किया कि वे न्याय नहीं बल्कि उनकी कुर्सी चाहते हैं। उन्होंने लोगों की खातिर इस्तीफा देने की पेशकश की।
बनर्जी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि वे न्याय के लिए नहीं, कुर्सी के लिए यहां हैं। लोगों की खातिर, मैं इस्तीफा देने के लिए तैयार हूं। मुझे मुख्यमंत्री पद नहीं चाहिए। उन्होंने कहा कि मैं बंगाल के लोगों से माफी मांगती हूं, जिन्हें उम्मीद थी कि आज यह मुद्दा सुलझ जाएगा।
ममता बनर्जी ने यह टिप्पणी तब की जब प्रदर्शनकारी जूनियर डॉक्टरों का एक प्रतिनिधिमंडल नबान्न (राज्य सचिवालय) पहुंचा, लेकिन वार्ता में शामिल होने से इनकार कर दिया और कार्यवाही का सीधा प्रसारण करने की मांग पर अड़ा रहा। इस दौरान मुख्यमंत्री को अंदर दो घंटे से अधिक समय तक इंतजार करना पड़ा।
उन्होंने कहाकि हमें लाइव-स्ट्रीमिंग में कोई समस्या नहीं है, लेकिन मामला विचाराधीन है। हमने कहा कि सभी चर्चाओं का दस्तावेजीकरण और रिकॉर्डिंग की जाएगी। हमने तीन वीडियो कैमरे भी रखे हैं। अगर सुप्रीम कोर्ट अनुमति देता है, तो हम रिकॉर्डिंग उनके साथ भी साझा करेंगे। जब कोई मामला विचाराधीन हो, तो लाइव-स्ट्रीमिंग संभव नहीं हो सकती। हमने अपने पत्र में भी कहा है कि हम लाइव-स्ट्रीमिंग की अनुमति नहीं दे सकते।
ममता बनर्जी ने कहा, “मैंने अपने शीर्ष अधिकारियों के साथ तीन दिन तक इंतजार किया। हम पीड़ित के लिए न्याय चाहते हैं, हम आम लोगों के साथ हो रहे व्यवहार के लिए न्याय चाहते हैं। हम (प्रदर्शनकारियों के खिलाफ) कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। सहन करना हमारा कर्तव्य है।
वहीं प्रदर्शनकारियों ने कहा कि सीएम ने कहा कि वह अपनी कुर्सी छोड़ सकती हैं। हम निराश हैं। हम यहां उनकी कुर्सी के लिए नहीं आए हैं, हम अपनी पांच सूत्री मांग को लेकर आए हैं। लाइव-स्ट्रीमिंग में क्या गलत है? क्या मांग अनुचित है? अगर सुप्रीम कोर्ट लाइव सुनवाई कर सकता है, तो राज्य सरकार क्यों नहीं कर सकती।