नई दिल्ली । भारत ने कहा है कि वह मालदीव में तीन विमानन मंचों का संचालन करने वाले अपने सैन्यकर्मियों के स्थान पर ह्यसक्षम’ भारतीय तकनीकी कर्मियों को नियुक्त करेगा। इसके साथ ही भारत ने साफ किया है कि वह द्वीपीय देश का एक महत्वपूर्ण विकास भागीदार बना हुआ है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने अपनी साप्ताहिक प्रेस वार्ता में कहा, मैं कहना चाहूंगा कि मौजूदा कर्मियों की जगह सक्षम भारतीय तकनीकी कर्मियों को तैनात किया जाएगा।” मालदीव में तैनात सैन्यकर्मियों के मुद्दे का समाधान करने के लिए उच्चस्तरीय कोर समूह की हुई दूसरी बैठक के बाद मालदीव के विदेश मंत्रालय ने कहा था कि भारत 10 मई तक दो चरणों में अपने सैन्यकर्मियों के स्थान पर दूसरे कर्मियों को तैनात करेगा।
मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने सोमवार को कहा था कि भारतीय सैन्य कर्मियों के पहले समूह को 10 मार्च से पहले वापस भेज दिया जाएगा और शेष कर्मियों को 10 मई से पहले वापस भेजा जाएगा। कोर समूह की दूसरी बैठक दो फरवरी को दिल्ली में हुई थी। पिछले साल दिसंबर में दुबई में आयोजित सीओपी28 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुइज्जू के बीच एक बैठक के बाद दोनों पक्षों ने कोर ग्रुप गठित करने का निर्णय लिया।
वर्तमान में लगभग 80 भारतीय सैन्यकर्मी मालदीव में हैं जो मुख्य रूप से दो हेलीकॉप्टर और एक विमान संचालित करने में सहयोग करते हैं। इन हेलीकॉप्टर और विमान से सैकड़ों चिकित्सा निकासी और मानवीय मिशन को अंजाम दिया गया है। नवंबर में मुइज्जू के सत्ता में आने के बाद से दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव है। मुइज्जू को व्यापक रूप से चीन समर्थक नेता के रूप में देखा जाता है। राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभालने के बाद उन्होंने कहा कि वह भारतीय सैन्यकर्मियों को अपने देश से बाहर निकालने के अपने चुनावी वादे को पूरा करेंगे।
जायसवाल ने कहा कि भारत, मालदीव का एक प्रतिबद्ध विकास भागीदार बना हुआ है। मालदीव को भारत की विकास सहायता के तहत बजटीय आवंटन पर, जायसवाल ने कहा कि एक निश्चित राशि आवंटित की गई थी और इसे संशोधित किया जा सकता है। वित्त वर्ष 2023-24 में मालदीव के लिए बजटीय आवंटन 400 करोड़ रुपये था, लेकिन संशोधित अनुमान से पता चला कि परिव्यय 770.90 करोड़ रुपये हो गया, जो प्रारंभिक राशि से लगभग दोगुना है। वित्त वर्ष 2024-25 के अंतरिम बजट में मालदीव को विकास सहायता के रूप में 600 करोड़ रुपये की राशि की व्यवस्था की गई है। जायसवाल ने कहा कि आगे की प्रगति पर स्पष्टता होने पर नए आंकड़े को संशोधित किया जा सकता है।