उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने नई सरकार के गठन के बाद ही मिशन रोजगार योजना की शुरूआत की थी. योजना शुरु हुए लगभग एक साल बीत गया है. लेकिन अभी तक अधिकारियों ने सराकर को रोजगार की लिस्ट नहीं सौंपी है. सरकार ने विभागीय अधिकारियों से योजना में हुए एक साल का डवलपमेंट का ब्यौरा मांगा है. दावा किया जा रहा है कि मिशन रोजगार के तहत अब तक हजारों लोगों को रोजगार दिया जा चुका है. साथ ही परिवार कार्ड के जरिये अभी भी बरोजगारों का डाटा तैयार किया जा रहा है, ताकि आने वाले समय में उन्हें भी रोजगार मिल सके.
क्या है मिशन रोजगार योजना?
दरअसल, करीब एक साल पहले यूपी की नई सरकार ने फैमली कार्ड के जरिये बरोजगारों का डाटा तैयार करने के लिए कहा था. साथ ही परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने की घोषणा भी की थी. मिशन रोजगार के तहत ये सब प्रक्रिया पूर्ण होनी तय हुई थी. उसी के तहत प्रदेश के हर जिले में रोजगार मेलों का आयोजन किया जा रहा है. साथ ही जरूरतमंद बरोजगार को हाथों-हाथ ही जॅाब का ऑफर लेटर थमाया जा रहा है. लेकिन कहीं न कहीं परिवार कार्ड बनने का काम अब पिछड़ गया है. क्योंकि हर परिवार के एक सदस्यों को रोजगार देने की गारंटी सरकार ने ली थी. इसके पीछे सरकार का उद्देश्य प्रदेश के लोगों की आर्थिक स्थिति को सुधारना था.
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चुनाव में की थी घोषणा
उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले बीजेपी ने अपने घोषणापत्र मे हर हाथ को काम देने की गारंटी ली थी. उसी के तहत मिशन रोजगार योजना का शुभारंभ किया गया. घोषणापत्र में कहा गया था कि चुनाव जीतने के बाद ऐसी व्यवस्था की जाएगी. जिसमें कोई घर ऐसा न बचे जहां कोई कमाने वाला न हो. इसी के चलते श्रम कार्ड की तर्ज पर परिवार कार्ड बनाने की प्रक्रिया शुरु की गई थी. इसके पीछे सरकार का उद्देश्य था कि उन्हें ये पता चल सके कि वास्तव में प्रदेश में बेरोजगारों की संख्या कितनी है. ताकि उसी हिसाब से रोजगार सृजित हो सकें.