ओडिशा के भद्रक जिले के रहने वाले एक बेटे ने दावा किया है कि उनके पिता, जो भारतीय सेना के जवान थे, पाकिस्तान की जेल में बंद हैं। न्यूज एजेंसी एएनआई ने बताया कि भारतीय सेना के जवान के बेटे ने अब अपने फौजी पिता को भारत वापस लाने की मांग की है। बेटे का दावा है कि उनके फौजी पिता जो कथित तौर पर लापता हो गए थे और 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद लाहौर की जेल में बंद थे। बेटे ने अब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से अपने पिता को प्रत्यर्पित करने की गुजारिश की है।
2007 में होना था रिहा
सैनिक के बेटे बिद्याधर पत्री ने कहा, मुझे नहीं पता कि मेरे पिता जीवित हैं या नहीं। पाकिस्तानी अधिकारियों को उनके पिता आनंद पत्री को 2007 में रिहा करना था। हालांकि उन्होंने उन्हें एक नागरिक के रूप में रिहा करने की शर्त रखी लेकिन भारतीय अधिकारियों ने इसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया। 65 वर्षीय बिद्याधारी ने कहा कि उन्हें 2003 में एक प्रकाशन के माध्यम से पाकिस्तान की जेल में अपने पिता के बारे में पता चला था।
यह भी पढ़ें: ‘सोनिया गांधी की पारी समाप्त हो गई’, कांग्रेस प्रवक्ता अलका लांबा ने साफ़ किया इस बात का मतलब
‘1965 के युद्ध के बाद वापस नहीं आए…’
सैनिक के बेटे बिद्याधर पत्री ने कहा, ”वह (आनंद पत्री) 1965 के युद्ध के बाद वापस नहीं आए। 2003 में एक प्रकाशन ने कहा कि मेरे पिता पाकिस्तान की लाहौर जेल में बंद हैं। जब से मुझे पता चला कि मेरे पिता जीवित हैं, मैंने मदद के लिए हर दरवाजा खटखटाया, लेकिन कोई मदद नहीं मिली। अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कार्यकर्ता उत्तम रॉय ने भी पुष्टि की है कि आनंद (जो पाकिस्तान की जेल में बंद हैं) कोलकाता से सेना में भर्ती हुए थे और 1962 के भारत-चीन युद्ध में भी लड़े थे। अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कार्यकर्ता उत्तम रॉय ने कहा, ”उन्हें भारतीय सेना में कोलकाता से भर्ती किया गया था। उन्होंने 1962 के भारत-चीन युद्ध में भी भाग लिया था। उन्होंने 1965 में भारत-पाक युद्ध में लड़ाई लड़ी थी। वह 1965 से लापता हैं। हमने मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से पहले प्रणब मुखर्जी से मुलाकात की थी।”