सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ हिजाब मामले की तुरंत सुनवाई करने के लिए सहमत हो गए हैं। उन्होंने मामले पर गौर करते हुए इसे तीन जजों की बेंच के समक्ष भेजने का फैसला किया है। दरअसल इस मामले में सुप्रीम कोर्ट पहले भी सुनवाई कर चुका है। लेकिन दो जजों की बेंच ने जो फैसला दिया वो उलझाने वाला था। एक जज की राय कुछ और थी जबकि दूसरे की कुछ और।
एग्जाम में बैठना चाहती है लड़की
एडवोकेट मीनाक्षी अरोड़ा ने सुप्रीम कोर्ट के सामने मुस्लिम लड़की की व्यथा बयां की। उनका कहना था कि कर्नाटक सरकार ने स्कूल कॉलेजों में हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगा रखा है। हाईकोर्ट ने भी सरकार के फैसले का समर्थन किया है। लेकिन मुस्लिम लड़की को एग्जाम में बैठना है। उनका कहना था कि इस मामले की तुरंत सुनवाई की जाए जिससे लड़की परीक्षा में बैठ सके।
मीनाक्षी अरोड़ा का कहना था कि पहले ही लड़कियों का एक साल खराब हो चुका है। याचिका दाखिल करने वाली लड़की की हिमायत करते हुए उनका कहना था कि उसको परीक्षा में बैठना है। इसके बाद उसे किसी दूसरे निजी संस्थान में दाखिला लेना है। अगर हिजाब पर प्रतिबंध जारी रहा तो वो एग्जाम में कैसे बैठ पाएगी। उनकी शीर्ष अदालत से अपील थी कि इस मामले में तुरंत न्याय किया जाए।
सीजेआई ने उनकी अपील पर गौर करते हुए कहा कि वो लड़की की परेशानी समझते हैं। उन्हें भी लगता है कि ऐसे हालात में तत्काल सुनवाई किए जाने की जरूरत है। सीजेआई ने कहा कि वो इस मामले को तीन जजों बेंच के समक्ष लिस्ट कराने जा रहे हैं।
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हिजाब मामले पर सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच ने 2022 में सुनवाई की थी। लेकिन 22 सितंबर को दिया फैसला उलझाने वाला था। जस्टिस हेमंत गुप्ता का कहना था कि हिजाब को लेकर सरकार और हाईकोर्ट का स्टैंड ठीक है। वो इसे बैन करने पर सहमत थे। जबकि जस्टिस सुधांशु धूलिया का कहना था कि हिजाब पर बैन लगाना सही नहीं है।