करोड़ों सनातनियों की आस्था का केंद्र अयोध्या में रामलला के भव्य मंदिर निर्माण का कार्य तेजी से चल रहा है. दिसंबर 2023 तक मंदिर के प्रथम तल का निर्माण कार्य पूरा कर लिया जाएगा. इसके बाद 2024 की मकर संक्राति के अवसर पर सूर्य के उत्तरायण होते ही शुभ मुहूर्त में गर्भगृह में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा हो जाएगी. इसके बाद श्रद्धालु यहां रामलला का दर्शन कर सकेंगे. इसके लिए लक्ष्य बनाते हुए निर्माण कार्य को गति प्रदान की जा रही है.
बता दें कि निर्माण स्थल पर ऊपरी हिस्से में विशालकाय मशीनों से काम चल रहा है. मुख्य मंदिर में वंशी पहाड़पुर के खूबसूरत डिजाइन वाले तराशे पत्थरों से निर्माण आगे बढ़ रहा है. जबकि गर्भ गृह संगमरमर के पत्थरों के पिलर पर खड़ा किया जा रहा है.
जानिए कहां तक पहुंचा मंदिर निर्माण का काम
कृत्रिम चट्टान के रूप में 40 से 45 फीट गहरी नींव, उसके ऊपर पांच फीट मोटी एक और परत और इसके बाद 21 फीट ऊंची प्लिंथ निर्माण के बाद इसी वर्ष एक जून से गर्भगृह का भी निर्माण शुरू हो चुका है. 360 फीट लंबाई और 250 फीट की चौड़ाई में निर्माणाधीन मंदिर भव्यता का पर्याय है. यह 161 फीट ऊंचा होगा और इसमें एक मुख्य शिखर के अलावा पांच उप शिखर एवं इतने ही मंडप तथा 392 स्तंभ तथा एक किलोमीटर का प्रदक्षिणा पथ होगा.
इस तरह चरणवार कार्य पूरा करते हुए आस्था के शिखर की यात्रा नया कीर्तिमान गढ़ती हुई 2024 के दिसंबर में चरम तक पहुंचेगी, जब रामजन्मभूमि निर्धारित मानक के अनुरूप भव्य-दिव्य मंदिर से सुसज्जित होगी.
मंदिर निर्माण के प्रोजेक्ट मैनेजर जगदीश आफ्ले के मुताबिक रामलला की स्थापना के बाद निर्माण की गति और तेज हो जाएगी तथा 2024 के दिसम्बर तक 161 फीट ऊंचे शिखर के साथ मंदिर निर्माण को पूर्ण कर लिया जाएगा.
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श्रीरामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय के मुताबिक मंदिर निर्माण कार्य अपनी गति से जारी है. विश्वास है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मकर संक्रांति 2024 को अपने कर कमलों से रामलला को भव्य राम मंदिर के गर्भगृह में स्थापित कर आम जनता के लिए दर्शन शुरू करा देंगे.