रामपुर उप-चुनाव को लेकर टिकट के सबसे अधिक दावेदार भाजपा में हैं। 2019 का उप-चुनाव लड़ने वाले भारत भूषण गुप्ता और 2022 का चुनाव लड़ने वाले आकाश सक्सेना सबसे मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं। इसके अलावा भी अन्य भाजपा के अन्य कई नेता इस सीट पर अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं।
कांग्रेस की ओर से नवाब परिवार का शायद ही कोई प्रत्याशी मैदान में उतरे। 2022 में कांग्रेस से विधानसभा का चुनाव लड़ने वाले नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां उप-चुनाव लड़ने के मूड में नहीं हैं। कांग्रेस की ओर से पूर्व विधायक अफरोज अली खां और प्रदेश कांग्रेस के महासचिव अरशद अली खां गुड्डू टिकट के दावेदार हैं। बसपा के दावेदार अभी इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि पाटी हाईकमान का उप-चुनाव को लेकर क्या फैसला होता है। बसपा के जिलाध्यक्ष सुरेंद्र सागर का कहना है कि पार्टी हाईकमान की ओर से यह तय किया जाएगा कि बसपा रामपुर विधानसभा सीट पर अपना प्रत्याशी उतरेगी या नहीं। आम आदमी पार्टी (आप) भी इस चुनाव में प्रत्याशी उतार सकती है। आप से टिकट के दावेदार प्रदेश प्रवक्ता फैसल लाला हो सकते हैं।
यह भी पढ़ें: पांच साल बाद सरकार बदलने पर मोदी दवा के उदाहरण से दे गए सीधा संदेश, रक्षा सौदों पर घेरा
इस उप-चुनाव का सबसे अहम पहलू यह होगा कि यहां से सपा किसको अपना प्रत्याशी बनाती है। क्योंकि यह आजम खां की परंपरागत सीट है। वह इस सीट से दस बार विधानसभा का चुनाव जीत चुके हैं। 2019 के उप चुनाव में उनकी पत्नी डॉ. तजीन फात्मा ने जीत हासिल की थी। ऐसे में यह तय है कि प्रत्याशी आजम खां की पसंद का होगा। इसमें सबसे अहम यह होगा कि क्या प्रत्याशी उनके परिवार का कोई सदस्य होगा। अगर प्रत्याशी उनके परिवार का नहीं होगा तो फिर कौन होगा। इस पर सभी की नजरें रहेंगी। वैसे भी आजम खां सीट को आसानी से छोड़ना चाहेंगे। राजनीति के धुरंधर खिलाड़ी माने जाने वाले चुनावी शतरंज की बिसात पर जरूर ऐसी चाल चलेंगे, जिससे विरोधियों को मात दी जा सके। राजनीति के जानकारों की माने तो आजम खां के पास तुरूप का एक पत्ता है। अब उन पर निर्भर करता है वह अपने तुरूप से इस पत्ते का इस्तेमाल उप-चुनाव में करते हैं या नहीं।