यूक्रेन युद्ध का असर वैसे तो पूरी दुनिया पर पड़ रहा है और अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने रूस को प्रतिबंधों के जाल में जकड़ रखा है, लेकिन अभी तक चुप रहने वाले चीन और भारत ने उज्बेकिस्तान के समरकंद में एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान सीधे तौर पर यूक्रेन युद्ध के लिए रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सामने चिंताएं प्रकट की हैं। अब तक चीन और भारत यूक्रेन युद्ध में रूस की भूमिका पर चुप ही थे और दोनों देशों ने रूस से भारी मात्रा में तेल खरीदकर पुतिन की भारी मदद की है, लेकिन समरकंद में भारत और चीन अचानक से रूस के खिलाफ खड़े होते नजर आए हैं।
रूस के खिलाफ भारत और चीन!
वैश्विक मंच पर अलग थलग पड़ चुके रूस के राष्ट्रपति से जब समरकंद में भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने मुलाकात की, तो व्लादिमीर पुतिन को एक संदेश दोनों देशों की तरफ से साफ दे दिया गया, कि यूक्रेन युद्ध से भारत और चीन खुश नहीं हैं। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से कहा कि, यह युद्ध का समय नहीं है, और पीएम मोदी ने रूसी राष्ट्रपति से ये बातें उस वक्त की हैं, जब पुतिन ने यूक्रेन में अपने अभियान की क्रूरता को बढ़ाने की धमकी दी है। वहीं, उज्बेकिस्तान में ही जब चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से रूसी राष्ट्रपति की मुलाकात हुई, तो पुतिन ने सार्वजनिक तौर पर इस बात को स्वीकार किया, कि शी जिनपिंग के पास यूक्रेन युद्ध को लेकर कई प्रश्न और चिंताएं हैं। यानि, ये संकेत साफ है, कि यूक्रेन युद्ध को लेकर भारत के साथ साथ चीन ने भी रूस के साथ दूरी बना ली है।
भारत-रूस ने क्यों बनाई दूरी?
भारत और चीन का एक साथ यूक्रेन युद्ध से दूरी बनाना और पुतिन के सामने अपनी चिंताएं और सवालों को रखना चौंकाने वाला है। चीन और भारत दुनिया के दो सबसे ज्यादा आबादी वाले देश हैं और रूस को अब तक प्रतिबंधों से बचाने में इन दोनों ही देशों ने सबसे ज्यादा भूमिका निभाई है, और अब भारत ने चीन ने साफ तौर पर रूस को संकेत दे दिया है, कि प्रतिबंधों के वैश्विक परिणामों से रूस दूर नहीं है। पीएम मोदी ने अपनी बैठक की शुरुआत में ही पुतिन से कहा, “मैं जानता हूं कि आज का युग युद्ध का नहीं है।” “आज हमें इस बात पर चर्चा करने का मौका मिलेगा कि हम शांति के रास्ते पर कैसे आगे बढ़ सकते हैं।” इसके अलावा पीएम मोदी ने वैश्विक खाद्य संकट और ऊर्जा संकट से विकासशील देश किस तरह से प्रभावित हो रहे हैं, इसकी भी चर्चा की। एक्सपर्ट्स का कहना है कि, पीएम मोदी ने सीधे तौर पर रूसी राष्ट्रपति के सामने साफ कर कर दिया है, कि युद्ध अब जल्द खत्म हो जाना चाहिए और पिछले दो हफ्तों में यूक्रेन से रूसी सैनिकों का पीछे हटना और डिप्लोमेटिक फ्रंट पर दोस्त देशों की भी आलोचना, निश्चित तौर पर राष्ट्रपति पुतिन के लिए सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण है, जबकि उन्होंने हमले को और भी बर्बरपूर्ण बनाने की चेतावनी दे रहे है।
तो क्या होंगे पुतिन के कदम?
पश्चिम का मानना है कि, राष्ट्रपति पुतिन का अगला कदम क्या होगा, ये काफी रहस्यमय है, क्योंकि यूक्रेन में रूसी सेना को मिल रही हार को देखते हुए रूसी राष्ट्रपति हमले की तीव्रता को बढ़ा सकते हैं। एशियाई नेताओं के शिखर सम्मेलन के बाद शुक्रवार को एक संवाददाता सम्मेलन में, पुतिन ने यूक्रेनी नागरिक बुनियादी ढांचे पर हाल के रूसी क्रूज मिसाइल हमलों को “चेतावनी हमला” बताया, जिससे पता चलता है, कि यूक्रेन में अभी लड़ाई और भी ज्यादा विध्वंसक होने वाली है। लेकिन, जब पुतिन अपने एशियाई सहयोगी देशों के साथ बैठक कर रहे थे, उस वक्त उन्होंने कहा कि, वो बगैर किसी शर्त बातचीत के लिए तैयार हैं, और उनके युद्ध का मकसद जरूरी नहीं है, कि पूरे यूक्रेन में फैला हो। उन्होंने शुक्रवार को यूक्रेन के “विसैन्यीकरण” और “निंदाकरण” के अपने व्यापक लक्ष्यों का कोई जिक्र नहीं किया, जिसकी घोषणा उन्होंने फरवरी में युद्ध शुरू करते समय की थी। पुतिन के ये ऐसे शब्द हैं, जो उनके पूरे यूक्रेन पर राजनीतिक नियंत्रण स्थापित करने के इरादे बताते हैं।
अपने लक्ष्य को लेकर रूस कनफ्यूज?
रूसी राष्ट्रपति ने अपने एशियाई दोस्तों के साथ बैठक के दौरान कहा कि, उनके आक्रमण का मुख्य लक्ष्य डोनबास पर कब्जा करने कर सीमित था और ये पूर्वी यूक्रेन का वो हिस्सा है, जिसे रूस ने स्वतंत्र राज्यों के रूप में मान्यता दे दी है, लेकिन डोनबास के दोनों क्षेत्र लुहान्स्क और डोनेत्स्क के कुछ क्षेत्रों पर अभी भी यूक्रेन का नियंत्रण है, तो सवाल ये है, कि क्या उन हिस्सों पर कब्जा करने के बाद राष्ट्रपति पुतिन युद्ध विराम का ऐलान कर देंगे? लेकिन, इसके आगे पुतिन ने कहा कि, यूक्रेन रूस के अंदर आतंकवादी कृत्यों को अंजाम देने की प्लानिंग कर रहा है और अगर ऐसा किया गया, तो फिर मॉस्को जवाबी कार्रवाई करेगा। पुतिन ने कहा कि, “वास्तव में, हम संयम से जवाब दे रहे हैं, लेकिन यह फिलहाल के लिए है।” उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि, “अगर स्थिति इसी तरह विकसित होती रही, तो जवाब और अधिक गंभीर होगा।” यूक्रेन ने रूस के कब्जे वाले क्षेत्र क्रीमिया में रूसी सैन्य ठिकानों पर हमला करने की बात तो स्वीकार की है, लेकिन इस बात से इनकार कर दिया है, कि वो नागरिकों को निशाना बना रहा है। क्रीमिया पर रूस ने साल 2014 में कब्जा कर लिया था।
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रूस के हमलों से विनाशकारी परिणाम
यूक्रेन के अंदर, रूस के युद्ध के परिणाम पहले से ही विनाशकारी रहे हैं। एक क्रूज मिसाइल साल्वो ने बुधवार को यूक्रेन के दक्षिणी शहर क्रिवी रिह में एक बांध को क्षतिग्रस्त कर दिया, जिसके बाद बाढ़ की आशंका जताई गई है। वहीं, उत्तरपूर्वी शहर इज़ियम में, जिसे हाल के दिनों में यूक्रेनी बलों ने मुक्त किया था, अधिकारियों ने कहा कि उन्हें एक सामूहिक कब्र और 445 लोगों के शव मिले हैं, जिन्हें मारकर दफना दिया गया था। यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की के एक सलाहकार, मायखाइलो पोडोल्यक ने शुक्रवार को कहा कि, रूसी सेना ने यूक्रेन में अपने कब्जे वाले क्षेत्र में “बड़े पैमाने पर आतंक, हिंसा, यातना और सामूहिक हत्याएं” की हैं, और उन्होंने युद्ध समाप्त करने के लिए एक समझौते पर बातचीत करने की संभावना को खारिज कर दिया।