बिहार की राजनीति में प्रशांत किशोर की चर्चा में हैं। चर्चा इसलिए नहीं कि वो 2 अक्टूबर से यात्रा निकालने वाले हैं। चर्चा इसलिए कि वो बिहार के सीएम नीतीश कुमार से मिले थे। जब उनसे मुलाकात के बारे में पूछा गया तो जवाब था कि मिला था लेकिन वो सिर्फ राजनीतिक शिष्टाचार भेंट थी। प्रशांत किशोर ने राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की दो पंक्तियों तेरी सहायता से जय तो मैं अनायास पा जाऊंगा, आनेवाली मानवता को, लेकिन, क्या मुख दिखलाऊंगा? का जिक्र किया है। अब सवाल यह है कि इन पंक्तियों के जरिए वो क्या कहना चाहते हैं।
‘मुलाकात सामान्य थी’
प्रशांत कुमार ने कहा कि यह एक सामान्य मुलाकात थी। इसमें बहुत कुछ नहीं था। उन्हें पवन वर्मा जो मुझसे कुछ दिन पहले भी मिले थे, अपने साथ लाए थे। यह पूछे जाने पर कि क्या किशोर को अपने शिविर में वापस लाने की उनकी योजना है, कुमार ने कहा कि कृपया उनसे पूछें। मेरे पास इस मुद्दे पर कहने के लिए और कुछ नहीं है। जब किशोर से बाबत संपर्क साधा गया तो उन्होंने कहा कि वह अपने जन सुराज्य अभियान के तहत पश्चिम चंपारण जिले में हैं।
यह बात अलग है कि मुलाकात से पहले पीके ने निशाना साधते हुए कहा था कि नीतीश कुमार जी ने कहा “इन लोगों को कुछ पता है, कि 2005 से कितना काम हुआ है”? अब सुनिए, पटना से सटे दानापुर के मानस पंचायत के सरपंच बता रहे हैं काम की सच्चाई! यहीं वर्षों पहले जननायक कर्पूरी जी ने कहा था कि इतनी बदहाली में लोग यहाँ जिंदा कैसे हैं? तब से अब तक कुछ नहीं बदला।
छले 10 वर्षों में नीतीश कुमार जी का सरकार बनाने का ये छठवाँ प्रयोग है। क्या आपको लगता है कि इस बार बिहार और यहाँ के लोगों का कुछ भला होगा?
‘पुराना रिश्ता रहा है’
कुमार ने यह भी कहा कि उनका किशोर के साथ एक पुराना रिश्ता रहा है और किशोर जिनपर उन्होंने इस महीने की शुरुआत में दिल्ली की अपनी यात्रा के दौरान कटाक्ष किया था, के प्रति किसी भी तरह की कड़वाहट नहीं है। किशोर ने 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में कुमार के लिए पेशेवर क्षमता में काम किया था और महागठबंधन की जीत पर उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिए जाने के साथ मुख्यमंत्री के सलाहकार के पद से पुरस्कृत किया गया था।