नीतीश का भाजपा वाला दांव: दक्षिण भारत के फॉर्मूले पर JDU, कांग्रेस की रैली से क्या है दिल्ली दौरे का कनेक्शन?

दिल्ली के कई महवपूर्ण कार्यक्रमों में शिरकत न करने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कल से होने वाला “दिल्ली दौरा” कई मायनों में बहुत अहम माना जा रहा है। राजनैतिक गलियारों में इस दौरे को 2024 में होने वाले लोकसभा के चुनावों नजरिए से देखा जा रहा है। खासकर तब जब कांग्रेस की ओर से महंगाई को लेकर आज बड़ा विरोध प्रदर्शन हो रहा है। चर्चा है कि बिहार के मुख्यमंत्री इसी बहाने विरोधियों के बड़े मोर्चे को आगे बढ़ाएंगे और कई विपक्षी पार्टियों के नेताओं से मुलाकात करेंगे।

कई नेताओं से मिलेंगे नीतीश

जेडीयू के नेताओं ने नीतीश कुमार के दिल्ली दौरे को राजनैतिक रूप से बहुत उर्वरा बनाने की तैयारी की है। पार्टी से जुड़े नेताओं का कहना है कि इस दौरान उनके कई बड़े राजनैतिक संगठनों के नेताओ से मुलाकात होनी है। सूत्रों का कहना है नीतीश कुमार की इस विजिट के दौरान कांग्रेस, सपा, डीएमके, टीएमसी और एनसीपी के अलावा दक्षिण के दलों के नेताओ से मुलाकात करेंगे। राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि बिहार में सत्ता परिवर्तन के बाद पहली बार बड़े विपक्षी दलों को जोड़ने का यह महाअभियान माना जा सकता है। राजनैतिक विश्लेषक नरेन्द्र शर्मा कहते हैं कि जिस तरह से जेडीयू ने कदम आगे बढ़ाया है यह आने वाले दिनों के लिए बड़ी राजनैतिक पहल है।

कांग्रेस के साथ मिलकर रणनीति बनाएंगे नीतीश

भाजपा ने जिस तरह से दक्षिण भारत पर फोकस करके अपनी चुनावी बिसात बिछानी शुरू की है उसी तर्ज पर जेडीयू और अन्य विपक्षी पार्टियों ने भी रणनीति अपनानी शुरू की है। जेडीयू से जुड़े सूत्रों का कहना है कि आने वाले दिनो में नीतीश कुमार दक्षिण भारत का भी दौरा करेंगे। अनुमान है कि उनके साथ कांग्रेस के नेताओं समेत कुछ अन्य विपक्षी दलों के नेताओ का भी प्रतिनिधि मंडल साथ होगा। हालांकि कांग्रेस की ओर से इस बारे में अभी कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया तो नहीं आई है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि एक बार आलाकमान के साथ बैठक में सब तय होगा। उसके बाद ही आगे की रणनीति तय होगी।

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विपक्ष को एकजुट करने में सफल हो पाएंगे नीतीश?

वरिष्ठ राजनैतिक विश्लेषक आरएस तंवर कहते हैं कि नीतीश कुमार के दिल्ली दौरे और कांग्रेस के रविवार को हो रहे आंदोलन को अलग करके नहीं देख सकते हैं। उनका कहना है कि नीतीश को कांग्रेस के इस आंदोलन के समर्थन के तौर पर देखा जा रहा है। चूंकि यह आंदोलन कांग्रेस का है इसलिए अन्य कोई विपक्षी दल सीधे तौर पर तो इसमें नहीं शामिल हो सकता लेकिन नीतीश आंदोलन के अगले दिन दिल्ली आकर विपक्षी एकजुटता का प्रदर्शन जरूर कर रहे हैं। वह कहते हैं कि जिस तरह से नार्थ, ईस्ट, साउथ, वेस्ट और नार्थ ईस्ट में राजनैतिक घटनाक्रम हो रहे हैं वो कहीं न कहीं सब विपक्षी दलों को जोड़ने में मदद कर सकते हैं। हालांकि तंवर का कहना है कि आपसी गठबंधन के लिए विपक्षी दलों को प्रधानमंत्री जैसे पद की लालसा जैसे कई अहम मुद्दों पर एक मत होना होगा। सूत्रों का कहना है कि आने वाले दिनों में जैसे ममता बनर्जी ने सभी विपक्षी दलों को जोड़ने के लिए बैठक की थी, ठीक वैसे ही एक बड़ा आयोजन हो सकता है।