राष्ट्रीय जनता दल के राज्यसभा सांसद मनोज झा शुक्रवार सदन में कहा कि सरकारी योजनाओं में ‘‘मुफ्त या निशुल्क’’ जैसे शब्दों का उपयोग नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि इससे देश का गरीब वर्ग शर्मसार होता है। झा ने कहा कि नये संसद भवन से लेकर सरकार की सभी योजनाओं में नागरिकों का योगदान है।
‘जिम्मेदारी को खैरात में मत तब्दील कीजिए’:
मनोज झा ने कहा, “मुफ्त की दवा, मुफ्तखोरी, मुफ्त का राशन, ये गरीब आदमी को शर्मसार कर रहा है। मुफ्त शब्द के इस्तेमाल से आप एक बड़ी आबादी का अपमान कर रहे हैं।” उन्होंने कहा कि नागरिकों के अपमान का अधिकार हमें नहीं है। आप उन्हें देते ही क्या हैं? अनाज, एक वैक्सीन ये आपकी जिम्मेदारी है, अपनी जिम्मेदारी को खैरात में मत तब्दील कीजिए। क्योंकि उत्तरदायित्व और खैरात में बहुत फर्क है।
“नागरिकों ने एक-एक चीज के लिए पैसा दिया है”:
मनोज झा ने कहा, “मैं देख रहा हूं अधिकांश राज्य सरकारें भी इसी मॉडल को अपनाने लगी हैं। उनको लगता है कि यह सबसे बढ़िया मॉडल है। करोड़ों के विज्ञापन छपवाकर बताते हैं कि हम आपको फ्री में ये दे रहे हैं, वो दे रहे हैं…..नहीं साहब आप मुफ्त में उन्हें कुछ नहीं दे रहे हैं। एक-एक चीज के लिए नागरिकों ने पैसे दिए हैं।”
उन्होंने कहा कि आज हम जो सेंट्रल विस्टा बना रहे हैं, उसमें भी गरीब का पैसा लगा है। हमें मुफ्तखोरी को लेकर नजरिया बदलने की जरूरत है। हमें मुफ्त शब्द खत्म कर दिया जाना चाहिए।
झा ने मांग की कि देश के हर नागरिक को निशुल्क स्वास्थ्य देखभाल सुविधा दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि देश में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की तुलना में स्वास्थ्य क्षेत्र पर होने वाले खर्च को और बढ़ाया जाना चाहिए।
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राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के राज्यसभा सांसद मनोज कुमार झा ने कहा कि अब वक्त आ गया है कि स्वास्थ्य को नागरिकों का मौलिक अधिकार बनाया जाए। उन्होंने कहा कि आगे देश में अगर कोई महामारी आए तो देश का नागरिक बेबस महसूस नहीं करे।