पाकिस्तान और तालिबान के बीच अफगानिस्तान में एयरस्ट्राइक को लेकर झगड़ा बढ़ता जा रहा है और अफगानिस्तान में इस्लामिक शासन की स्थापना में अहम भूमिका निभाने वाले पाकिस्तान को अब तालिबान ने आंखे दिखानी शुरू कर दी है। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने तो तालिबान के लिए भीख मांगने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी, लेकिन तालिबान ने पाकिस्तान को धमकी देते हुए कहा है, कि अगर अब एक बार फिर अफगानिस्तान की जमीन पर हमला करने की सोची, तो अंजाम ठीक नहीं होगा।
यूनाइटेड नेशंस पहुंचा अफगानिस्तान पाकिस्तान के पूर्व प्रधान मंत्री इमरान नियाज़ी और उनके तत्कालीन आईएसआई हीरो रहे लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद के 2021 में अफगानिस्तान में तालिबान इस्लामी शासन की स्थापना में सक्रिय भूमिका निभाने के बावजूद, तालिबान ने पाकिस्तान को गंभीर अंजाम भुगतने की चेतावनी दी है। तालिबान ने अफगानिस्तान में पाकिस्तानी हवाई हमले को अफगानिस्तान की क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन करार दिया है और पाकिस्तान के खिलाफ अफगानिस्तान प्रशासन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद पहुंच गया है, जहां पाकिस्तान के खिलाफ एक्शन लेने की मांग की गई है और कहा है, कि पाकिस्तानी वायुसेना ने 16 अप्रैल को अफगानिस्तान के कुनार और खोस्त प्रांत में हवाई हमले किए हैं।
पाकिस्तान के खिलाफ साथ आए सभी गुट सबसे दिलचस्प बात ये है, कि अफगानिस्तान में मौजूद सभी गुटों पाकिस्तान के खिलाफ एक साथ आ गये हैं। पाकिस्तान के खिलाफ अफगानिस्तान की पिछली अशरफ गनी शासन में यूएनएससी में स्थाई सदस्य रहे नसीर अहमद फैक ने यूएनएससी में एक औपचारिक शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन घटना में दिलचस्प मोड़ उस वक्त आ गया, जब तालिबान, हक्कानी नेटवर्क और तहरीक-ए-तालिबान ने भी इस शिकायत का समर्थन कर दिया और पाकिस्तानी हवाई हमलों के खिलाफ विरोध में हाथ मिला लिया। आपको बता दें कि, पाकिस्तानी हवाई हमले में अफगानिस्तान में कई महिलाओं और बच्चों समेत 40 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है। वहीं, कई घर तबाह हो गये हैं। तालिबान शासन स्थापित होने के बाद पाकिस्तान अफगानिस्तान को अपनी रैयत समझने लगा था, लेकिन तालिबान के सख्त जवाब से पाकिस्तान सकपका गया है।
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डूरंड लाइन को मानने से इनकार अफगानिस्तान स्थिति सभी तीनों पश्तून गुटों ने पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा को विभाजित करने वाले डूरंड लाइन को मानने से इनकार कर दिया है और अशरफ गनी के शासनकाल में पाकिस्तान ने जो सीमा पर बाड़ लगाए थे, उसे तालिबान ने उखाड़ फेंका है। इसके साथ ही अफगानिस्तान की सभी जातीय समूह ने डूरंड लाइन का विरोध करना शुरू कर दिया है, जिसके बाद अब पाकिस्तान असमंजस में है, कि वो इस स्थिति से कैसे निपटे, क्योंकि पाकिस्तान ने तालिबान की इतनी तारीफ की है, कि वो अब तालिबान की शिकायत करने के भी काबिल नहीं रहा।