नई दिल्ली। इस महीने की शुरुआत में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा था कि ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने 2014 से 2021 के बीच ईंधन कर संग्रह से 26.5 लाख करोड़ रुपये एकत्र किए लेकिन मुफ्त खाद्यान्न, महिलाओं को नकद भत्ते, पीएम-किसान पर कुल खर्च और अन्य नकद हस्तांतरण “2,25,000 करोड़ रुपये से अधिक नहीं है, जो अकेले केंद्र द्वारा एकत्र किए गए वार्षिक ईंधन कर से कम है।’ अब इस पर सरकारी सूत्रों ने कहा कि पूर्व वित्त मंत्री द्वारा प्रस्तुत संख्या काफी कम है क्योंकि इस अवधि में विकास व्यय लगभग चार गुना था।

खर्च का विवरण साझा करते हुए सूत्रों ने कहा, ‘इसमें बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण और उत्पादक संपत्ति बनाने के लिए पूंजीगत व्यय के रूप में 26 लाख करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए गए। भोजन, उर्वरक और ईंधन सब्सिडी के लिए 25 लाख करोड़ रुपये और सामाजिक सेवाओं जैसे- स्वास्थ्य, शिक्षा, किफायती आवास आदि पर 10 लाख करोड़ रुपये खर्च हुए।’
सरकारी सूत्रों ने कहा कि सरकार ने पिछले आठ वर्षों में बुनियादी ढांचे के विकास और सामाजिक क्षेत्र के कामों पर करीब 100 लाख करोड़ रुपये खर्च किए हैं। आरबीआई की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए, सूत्रों ने कहा कि 2014-15 से 2021-22 के दौरान केंद्र सरकार द्वारा कुल विकास व्यय 90,89,233 करोड़ रुपये (90.9 लाख करोड़ रुपये) था।
सूत्रों ने कहा कि यह स्पष्ट है कि ईंधन कर से संग्रह को विकास व्यय के रूप में अच्छे उपयोग के लिए रखा गया है, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक पूर्व वित्त मंत्री इन बुनियादी डेटा बिंदुओं को बताना भूल गए।
चिदंबरम ने पिछले हफ्ते ट्विटर पर कहा था कि मोदी सरकार के आठ सालों में केंद्र सरकार ने ईंधन कर के रूप में 26,51,919 करोड़ रुपये एकत्र किए हैं। पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा था, “भारत में लगभग 26 करोड़ परिवार हैं। इसका मतलब है कि केंद्र सरकार ने हर परिवार से औसतन 1,00,000 रुपये ईंधन कर के रूप में एकत्र किए हैं!”
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