पांच राज्यों में मिली करारी हार के बाद से कांग्रेस में लगातार बैठकों और मंथन का दौर जारी है. पार्टी सुप्रीमो सोनिया गांधी ने पांचों राज्यों के प्रदेश अध्यक्षों से इस्तीफा मांग लिया है. हार के बाद पार्टी की अंदरुनी कलह भी खुलकर सामने आ गई है. जी-23 के नेता लगातार नेतृत्व बदलने की मांग कर रहे हैं. हालांकि कई नेता अब भी गांधी परिवार के साथ खड़े हैं. वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि वर्किंग कमेटी में फैसला लिया गया था कि पार्टी को मजबूत बनाने के लिए कांग्रेस अध्यक्षा कोई भी कदम उठा सकती हैं. आज शाम जी-23 के नेताओं की बैठक होनी है.
5 पीसीसी अध्यक्षों को हटाया गया है. दूसरे राज्यों में भी जो काम नहीं कर रहे उनके ऊपर भी ऐसी ही कार्रवाई की जाएगी. पार्टी में जो कमजोरियां हैं, उन पर एक्शन लिया गया है. सिर्फ पार्टी के नाम से जो बैठे हैं, उन पर भी एक्शन लिया जाएगा.
उन्होंने जी-23 के नेता कपिल सिब्बल पर भी हमला बोला. उन्होंने कहा, मैंने कल ही बोला था कि कपिल एक वकील हो सकते लेकिन कांग्रेस के नेता नहीं. जमीन पर जाना अलग होता है. हवा में बात करने से कुछ होने वाला नहीं है. सिब्बल साहब जो ऐसी बात बार-2 कर रहे हैं, पार्टी को कमजोर कर रहे हैं. सोनिया के साथ पार्टी है. खड़गे ने पीएम नरेंद्र मोदी और हाल ही में रिजीज हुई फिल्म द कश्मीर फाइल्स पर भी हमला बोला. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी देश का माहौल बिगाड़ना चाहते हैं. कश्मीर फाइल्स एक तरफा फिल्म है. ऐसी फिल्म निकालकर नौजवानों को गुमराह करना चाहते हैं.
कांग्रेस की करारी हार के बाद पार्टी के भीतर की आंतरिक कलह पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल के उस बयान से एक बार फिर खुलकर सामने आ गई है जिसमें उन्होंने कहा था कि गांधी परिवार को नेतृत्व छोड़कर किसी दूसरे नेता को मौका देना चाहिए. सिब्बल की इस टिप्पणी के बाद गांधी परिवार के नेतृत्व में विश्वास रखने वाले नेताओं ने उन पर तीखा प्रहार किया और आरोप लगाया वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की भाषा बोल रहे हैं.
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वहीं कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने सिब्बल पर प्रहार करते हुए कहा था कि ऐसे नेताओं को पार्टी के मौजूदा नेतृत्व के खिलाफ रोजाना बयानबाजी करने की बजाय अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ना चाहिए. खेड़ा ने कहा था, ‘‘कपिल सिब्बल, डॉक्टर हर्षवर्धन (भाजपा नेता) ने आपसे नहीं कहा था कि चांदनी चौक से अलग हो जाइए. वह चुनाव लड़े और आपको पराजित किया. जो लोग कांग्रेस का नेतृत्व करना चाहते हैं वह मौजूदा नेतृत्व के खिलाफ रोजाना बोलने की बजाय पार्टी के अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने के लिए स्वतंत्र हैं.’’ खेड़ा का संकेत दिल्ली की चांदनी चौक लोकसभा सीट पर 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में हर्षवर्धन की ओर से सिब्बल को शिकस्त देने की ओर था.