स्वामी रामदेव के दिशा-निर्देशन और आचार्य बालकृष्ण के नेतृत्व में पतंजलि अनुसंधान संस्थान के लगभग 150 वैज्ञानिकों के प्रयास से भारतीय किसान और कृषि संबंधी समस्याओं के निस्तारण हेतु एक व्यापक योजना तैयार की गई है। इसे नव हरित क्रांति-एन एग्रो विजन पुस्तक में संकलित किया गया है।
आज आचार्य बालकृष्ण की अध्यक्षता में एक ऑनलाइन और ऑफलाइन गोल मेज चर्चा का आयोजन हुआ, जिसमें इस अद्भुत संकलन के माध्यम से कृषि से जुड़ी बुनियादी समस्याओं के निस्तारण, कृषि को सरल बनाने व किसानों की आय में अभिवृद्धि हेतु भावी योजनाओं पर विचार किया गया।
स्वामी रामदेव ने कहा कि पतंजलि की किसान समृद्धि के तहत भावी योजनाएं हैं। जैविक कृषि प्रशिक्षण से लेकर जैविक खाद, उच्च गुणवत्तायुक्त बीज और उर्वरक न्यून मूल्य पर किसानों को सुलभ कराए हैं। अब तकनीकी क्षेत्र में भी पतंजलि ने किसानों को सहायता करने के लिए आधुनिक एप डेवलप किए हैं जिनकी सहायता से भूमि की जीयो-मैपिंग, जीयो फेंसिंग और मौसम का पूर्वानुमान जैसी बुनियादी जानकारियां आसानी से सुलभ हो सकेंगी।
गोष्ठी में आचार्य आचार्य ने कहा कि पतंजलि का उद्देश्य किसानों की आय में अभिवृद्धि करना, कृषि संबंधी डिजिटल सॉल्यूशन्स और सरकार की सभी योजनाओं का लाभ देश के अंतिम किसान तक पहुंचाना है। उन्होंने कहा कि इसी उद्देश्य से विगत एक दशक से पतंजलि अनुसंधान संस्थान के माध्यम से सैकड़ों वैज्ञानिकों द्वारा जो विजन डाक्यूमेंट तैयार किया गया है। इसको लेकर देश के प्रतिष्ठित कृषि वैज्ञानिकों, विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपतियों एवं देश के विभिन्न कृषि संस्थानों से जुड़े लोगों का मानना है कि यह विजन जितना जल्द व्यवहारिक रूप लेगा उतना ही जल्द देश का किसान समृद्धि की राह पर होगा।
कार्यक्रम में नीति आयोग के सदस्य प्रो. रमेश चन्द ने कहा कि नीति आयोग ने इतना कार्य नहीं किया जितना इस पुस्तक के माध्यम से कर दिया है। यह मात्र एक किताब नहीं पूरा इन्साइक्लोपीडिया है। जीबी पंत कृषि एवं तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. तेज प्रताप ने कहा कि यह अद्वितीय कार्य किया है उस पर कृषि विशेषज्ञों से एक चर्चा करनी चाहिए जिससे भविष्य की योजनाओं पर कार्य किया जा सके।
कृषि नीति विशेषज्ञ देवेन्द्र शर्मा ने कहा कि पतंजलि ने देश को एक विकल्प दिया है। पतंजलि ने जैविक कृषि पर जोर दिया। आज पूरा विश्व जैविक कृषि का पक्षधर है।
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कार्यक्रम में इंटरनेशनल क्रॉप रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर सेमी एरिड ट्रोपिक्सके पूर्व कुलपति डॉ. एचसी शर्मा, कृषि अर्थशास्त्री, अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान के पूर्व चीफ डॉ. पीके जोशी, भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान के पूर्व निदेशक और प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन विशेषज्ञ डॉ. सीएल आचार्य, मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. विजय प्रताप सिंह आदित्य आदि कृषि विशेषज्ञों ने अपने विचार प्रस्तुत किए।