भगवान श्रीराम की नगरी चित्रकूट में आयोजित तीन दिवसीय ‘हिन्दू एकता महाकुम्भ’ कार्यक्रम में दूसरे दिन देशभर से आए संतों ने हिन्दुओं को एकजुट होने की अपील की। मंच से कार्यक्रम के आयोजनकर्ता जगतगुरू रामभद्राचार्य ने कहा, आज यहां पर अपनी अंतरआत्मा से देख रहा हूं कि यहां पर भारी हिन्दूओं की भीड़ यहां उपस्थित है। यह भीड़ इस पंडाल के दूर-दूर तक हैं। उन्होंने कहा कि हिन्दू शब्द वैदिक है और वह हिमालय की तरह अचल होता है, चंद्रमा की तरह शीतल होता है उसे ही हिन्दू कहते हैं।
जगतगुरू ने नारी रक्षा के बारे में बताते हुए कहा कि जो हिन्दू अपनी बहन-बेटियों की रक्षा नहीं कर सकता वह हिन्दू नहीं है। आज देश में संतों की बात होती है और उनकी सुनी जाती है। देश के प्रधानमंत्री हमारी सुनते है और संतों के लिए कार्य कर रहे हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि मैं या मेरा उत्तराधिकारी चुनाव लड़ने जा रहे हैं। मैं खुद बचपन से ही एमपी (मेम्बर आफ परमेश्वर) हूं, एमपी में रहता हूं। मेरे पास जनप्रतिनिधि आते हैं और सम्मान करते हैं। इस मंच से साफ कहना चाहता हूं कि जो संतों, हिन्दुओं की बात करेगा, वहीं देश में राज करेगा। देश में आई नई शिक्षा नीति बेहतर है इसे और प्रभावी ढंग से लागू किया जाए।
जगतगुरू ने धर्मांतरण कराने वालों को चेतावनी देते हुए मंच से कहा कि यह श्रीराम की नगरी है, यहां और देश में धर्म परिवर्तन नहीं होने दिया जाएगा। इसके लिए देशभर में हिन्दुओं को एकजुट करने के लिए कल ही मैंने एक संस्था रामानंद मिशन बनाया है। इसके जरिए धर्मांतरण कराने वालों के खिलाफ मुहिम चलाई जाएगी। हिन्दुओं को डरने की जरूरत नहीं है। जब—जब हिन्दुओं को संकट आएंगा वहां मौजूद रहूंगा।
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यह संत रहे उपस्थित
हिन्दू एकता महाकुम्भ के अवसर पर देशभर से संत धर्मनगरी में एकजुट हुए। मंच पर मुख्य रूप से गुरू शरणानंद महाराज, चिन्नजियर स्वामी जी महाराज, श्रीश्रीरवि शंकर, जगतगुरू शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती, कैशालनंद गिरी जी महाराज, सांध्वी ऋतम्भरा, राजेन्द्र दास देवाचार्य, ज्ञानानंद जी महाराज, श्यामशरण देवाचार्य महाराज, विजयकौशल महाराज, चिदानंद सरस्वती, बालकानंद गिरि महाराज, विश्वप्रसन्नतीर्थ महाराज, रविशंकर महाराज, लोकेशमुनि, लोकेशनाथ, रविन्द्रपुरी, मरामात्मानंद सरस्वती, बद्रीप्रपन्नाचार्य, रामविलास दास वैदांती, ज्ञानदेव सिंह, सुतीक्ष्ण दास, राजेन्द्र दास, राजकुमार दास सहित देशभर से आए संत व आचार्य उपस्थित रहें। सभी संतों ने हिन्दुओं को एक होने की अपील की।