सेना में धर्म गुरु के पद पर तीस साल पूर्व तैनात हुए डा.भैरव नाथ पाठक की दिल्ली में मौत हो गई। पाठक डेंगू से पीड़ित थे। मंगलवार अपरान्ह में उनका पार्थिव शरीर लेकर सेना के अफसर पैतृक गांव निएसीपुर रोहनिया पहुंचे। गांव में पार्थिव शरीर पहुंचते परिजनों में कोहराम मच गया।
कुछ देर गांव में पार्थिव शरीर रखने के बाद परिजन और सैन्य अफसर लेकर मिर्जापुर के चितेश्वर नाथ घाट पर पहुंचे। जहां पूरे सैनिक सम्मान के साथ उनका अन्तिम संस्कार किया गया। इस दौरान भैरव नाथ पाठक की पत्नी सुषमा देवी,ज्येष्ठ पुत्र अधिवक्ता भास्कर देव पाठक,छोटे पुत्र नितिन पाठक भी मौजूद रहे।
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पार्थिव शरीर लेकर आये सैन्य अफसर ने बताया कि डा. पाठक की तबीयत कई दिनों से खराब थी। लेकिन उन्होंने सेना के अस्पताल में नहीं दिखाया। बाजार से खुद दवा लेने लगे थे। जब उनकी तबीयत ज्यादा खराब हुई तब उन्होंने सेना के अधिकारियों को बताया। उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया। लेकिन तब तक उनका प्लेटलेट बहुत गिर गया। उनके कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया । 24 अक्टूबर की रात अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।