कानपुर के मेहरबान सिंह पुरवा में बनी चौधरी हरमोहन सिंह यादव की कोठी को सपा का मजबूत किला माना जाता था। हरमोहन की मौत के बाद अखिलेश यादव के हाथ में पार्टी की कमान आने पर हरमोहन का परिवार अपने को असहज महसूस करने लगा। इसका फायदा उठाने को बेताब भाजपा ने आखिरकार अपना दांव चल दिया। हालांकि अभी चौधरी परिवार की ओर से अधिकृत बयान नहीं आया, लेकिन जिस प्रकार सोमवार को स्व. चौधरी हरमोहन सिंह यादव की जन्म शताब्दी वर्ष के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह आ रहे हैं उससे पूरी तरह से संकेत मिल रहे हैं कि राज्य सभा सांसद सुखराम सिंह यादव परिवार के साथ भाजपा का दामन थाम सकते हैं।
पूर्व राज्य सभा सांसद स्व हरमोहन सिंह यादव का जन्म शताब्दी वर्ष सोमवार को मनाया जा रहा है। अमूमन अब तक इस शताब्दी वर्ष में सपा का कुनबा ही मुख्य अतिथि होता था। पहली बार देखा जा रहा है कि जन्म शताब्दी वर्ष में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में आ रहे हैं। इससे सियासी गलियारों में तेजी से चर्चा हो रही है कि चौधरी हरमोहन यादव के राज्य सभा सदस्य बेटा सुखराम यादव परिवार के साथ भाजपा में शामिल हो सकते हैं। पूरे शहर में कार्यक्रम की भव्यता को लेकर होर्डिंग्स और बैनर लगाये गये हैं और सड़कों पर दौड़ रहे चार पहिया वाहनों में स्टीकर लगे हुए हैं। ऐसे में कयासों का दौर जबरदस्त चल रहा है और पूरी तस्वीर सोमवार को होने वाले कार्यक्रम में ही साफ हो पाएगी। हालांकि कयासों के दौर के बावजूद सुखराम यादव की ओर से किसी भी प्रकार का खंडन नहीं किया गया है। इससे इस बात की पुष्टि होती है कि चौधरी परिवार में आगामी राजनीति को लेकर अंदरखाने खिचड़ी पक रही है। यह पहला दौर नहीं है जब भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव चौधरी परिवार के कार्यक्रम में शामिल हो रहे हैं। हालांकि इस बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद आ रहे हैं। इससे संभावना बढ़ रही है कि पहले के कार्यक्रमों में हुई बातचीत की पुष्टि के लिए मुख्यमंत्री उनके कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि आ रहे हैं।
मेहरबान सिंह के पुरवा में सपा के होते थे फैसले
सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के बेहद करीबी रहे स्व. चौधरी हरमोहन सिंह यादव की कोठी में सपा के बड़े-बड़े फैसले होते थे। राजनीति में आगे कौन सा दांव चलना है और किस दांव से पार्टी को लाभ मिलेगा आदि निर्णय मुलायम सिंह मेहरबान सिंह के पुरवा में हरमोहन की कोठी में ही लेते थे। खासकर कानपुर और आसपास के जनपदों के मामलों में तो सवाल ही नहीं था कि हरमोहन के बिना सपा में फैसले लिये जाये। किसको पार्टी से टिकट देना है और कौन विश्वास पात्र है यह सब निर्णय हरमोहन खुद लिया करते थे। यहां तक कि कानपुर जब भी नेताजी आते थे तो उनका ठिकाना मेहरबान सिंह का पुरवा ही होता था। चौधरी हरमोहन सिंह यादव सपा से राज्य सभा सदस्य रहे और जब 2003 में सपा की सरकार बनी तो विधान परिषद का अध्यक्ष अपने बेटे सुखराम सिंह यादव को बनाने में सफल रहे। चौधरी हरमोहन का पूरा कुनबा सपा के लिए जीता था और इसी के चलते चौधरी हरमोहन की मौत के बाद भी मुलायम सिंह यादव के कहने पर 2016 में सपा से सुखराम सिंह यादव को राज्य सभा भेजा गया।
अखिलेश से चल रही है अनबन
समाजवादी पार्टी की कमान अखिलेश यादव के हाथों पर आने के बाद से चौधरी परिवार को पार्टी में वह महत्व नहीं मिलता जो पहले मिलता था। इसको लेकर कई बार अप्रत्यक्ष रुप से सुखराम यादव अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं। यहां तक कि वह प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल यादव के साथ काफी हद तक खड़े दिखाई दिये। लेकिन पहली बार ऐसा देखा जा रहा है कि उनकी नजदीकियां भाजपा से बढ़ी हैं। यही नहीं सुखराम यह भी कह चुके हैं कि अखिलेश को हम नेता नहीं मानते हैं। वहीं दूसरी ओर अखिलेश यादव की ओर से कोई बयानबाजी भी नहीं हुई। इससे साफ है कि अखिलेश से सुखराम यादव की अनबन बनी हुई है। इसका फायदा भाजपा उठाने को बेताब है और जिस प्रकार से कार्यक्रम की भव्यता शहर भर में दिख रही है और भाजपा के कार्यकर्ताओं के वाहनों में स्टीकर लगे हैं उससे इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि सोमवार को चौधरी सुखराम परिवार के साथ भाजपा का दामन थाम सकते हैं।
उत्तराखंड मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने परमहंस रामचंद्र दास की समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित की
सुखराम के बेटे ने की मुख्यमंत्री की सराहना
कार्यक्रम को लेकर सुखराम सिंह के बेटे चौधरी मोहित यादव ने बताया कि मुख्यमंत्री का जो भी आदेश होगा, उसे माना जाएगा। अच्छा काम करने वालों की सराहना करनी चाहिए। युवा होने के नाते हम मुख्यमंत्री के कार्य की सराहना करते हैं।